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________________ (७०२) में पद पद पर स्त्रियोंकी निन्दा देखने में आती है. इसलिये उनको दूर रखना ऐसा होते हुए उनका दान सन्मानरूप वात्सल्य करना किस प्रकार योग्य है ? समाधान:-"स्त्रियां ही दुष्ट होती हैं" ऐसा एकांत पक्ष नहीं. जैसे स्त्रियोंमें वैसे पुरुषोंमें भी दुष्टता समान ही है. कारण कि, पुरुष भी क्रूरप्रकृति, महादुष्ट, नास्तिक, कृतघ्न, अपने स्वामीके साथ वैर करनेवाला, विश्वासघाती, असत्यभाषी, परधन तथा परस्त्री हरण करनेवाला, निर्दय तथा गुरुको भी ठगनेवाला ऐसे बहुतसे देखनेमें आते हैं. पुरुषजातिमें कोई कोई ऐसे मनुष्य हैं, उससे जैसे सत्पुरुषोंकी अवज्ञा करना घटित नहीं होती, वैसेही स्त्रीजातिमें कुछ दुष्ट स्त्रियां हैं, उससे समस्त स्त्रियोंकी अवज्ञा करना यह भी घटित नहीं होती. जैसे महादुष्ट वैसेही महागुणवान स्त्रियां भी हैं. जैसे तीर्थंकरोंकी माताएं श्रेष्ठगुणोंसे युक्त होती हैं, इससे देवताओंके इन्द्र भी उनकी पूजा करते हैं और मुनि भी स्तुति करते हैं. लौकिकशास्त्रज्ञ भी कहते हैं कि, स्त्रियां कोई ऐसा अद्भुत गर्भ धारण करती हैं कि, जो तीनों जगत्का गुरु होता है. इसीलिये पंडित लोग स्त्रियोंका बडप्पन स्वीकार करते हैं. बहुतसी स्त्रियां अपने शीलके प्रभाव. से अग्निको जल समान, जलको स्थल समान, गजको शृंगाल समान, सपेको रस्सी समान और विषको अमृत समान कर देती हैं, वैसेही चतुर्विध श्रीसंघका चौथा अंग श्राविकाएं हैं.
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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