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________________ (६८८) सिरमें फूल आदि गुंथाना, हरा दातौन, जूते आदि वस्तुका यथाशक्ति त्याग करना। भूमि खोदना, वस्त्रआदि रंगना, गाडीआदि हांकना, ग्राम परग्राम जाना इत्यादिककी भी बाधा लेना । घर, बाजार, भीत, थंभा, पाट, कपाट, पाटिया, पाटी, छींका, (शीका ) घीके तेलके तथा जलआदिके दूसरे बरतन, ईंधन, धान्य, आदि सर्व वस्तुओंकी नीलफूल आदि जीवकी संसक्ति न होवे,तदर्थ जिसको जैसा योग्य हो तदनुसार किसीको चूना लगाना, किसी में राख मिलाना तथा मेल निकाल डालना, धूपमें डालना, शरदी अथवा भेज न हो ऐसे स्थानमे रखना इत्यादि यतना करना । जलकी भी दो तीन बार छाननेआदिसे यतना रखना । चिकनी वस्तु गुड, छांछ, जलआदिको अच्छी. तरह ढांकनेआदिकी भी यतना रखना। ओसामण तथा स्नानका जल आदि नीलफूल लगी हुई न हो ऐसी धूलबाली शुद्धभूमिमें थोडार और फैलता हुवा डालना। चूल्हे व दीवेको खुला ( उघाडा ) न छोडनेकी यतना रखना । कूटना, दलना, रांधना वस्त्रआदि धोना इत्यादिकाममें भी सम्यक्प्रकारसे देख भाल कर यतना रखना। जिनमंदिर तथा पौषधशालाआदिकी भी यथोचित रीतिसे समारनाआदिसे यता रखना। वैसे ही उपधान, मासादिप्रतिमा, कषायजय, इंद्रियजय, योगविशुद्धि, बीसस्थानक, अमृतआठम, एकादश अंग, चौदह पूर्व आदि तपस्या तथा नमस्कारफलतप, चतुर्विंशतिकातप,,
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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