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________________ (६३०) उत्तरः--हम कहते हैं कि चतुर्दशीहीको किया जाय. जो अमावास्या अथवा पूर्णिमाको पक्खी प्रतिक्रमण किया जाय तो चतुर्दशी तथा पक्खीके दिन भी उपवास करनेका कहा है, इससे पक्खी आलोयणा भी छट्ठसे होजाती है. और ऐसा करनेसे आगमवचनका विरोध आता है. आगममें कहा है कि-- "अट्ठमछठचउत्थं, संवच्छरचाउमास पक्खेसु" दूसरे आगममें जहां "पाक्षिक" शब्द ग्रहण किया है, वहां " चतुर्दशी" शब्द पृथक नहीं लिया, और जहां " चतुर्दशी" शब्द ग्रहण किया है वहां " पाक्षिक" शब्द पृथक् नहीं लिया. यथाः-" अट्ठमिचउद्दसीसु उववासकरणं" यह वचन पाक्षिकचूर्णिमें है. "सो अमिचउद्दसासु उववासं करेइ" यह वचन आवश्यकचूर्णिमें है. "चउत्थछट्टट्ठमकरणे अट्ठमिपक्खचउमासवरिसे अ" यह वचन व्यवहारभाष्यकी पीठिकामें है. 'अट्ठमिचउद्दसीनाणपंचमीचउमासः' इत्यादि वचन महानिशीथमें हैं. व्यवहारसूत्रके छठे उद्देशेमें “ पक्खस्स अट्ठमी खलु, मासस्स य पक्खिरं मुणेअव्वं " इस वचनकी व्याख्या करते हुए वृत्तिकारने "पाक्षिक". शब्दका अर्थ चतुर्दशीही किया है. जो पक्खी और चतुर्दशी १ संवत्सरी पर अट्ठम, चौमासी पर छट्ठ और पक्खी पर उपवास करना, २ अष्टमीचतुर्दशीको उपवास करना. ३ सो अष्टमी चतुर्दशीको उपवास करे. ४ अट्ठम तथा पक्खी पर उपवास, चौमासी पर छह और संवत्सरी पर अट्ठम करना.
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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