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________________ ( ३३ ) धारण कई है उसी भांति अपनो सुन्दर प्रिय पत्नी कमलमालाको पट्टरानी पद पर स्थापित कर दी यहीं योग्य भी था । "जिस प्रकार युद्ध में जय प्राप्ति करनेवाला केवल राजा ही होता है परन्तु पैदल आदि सेना ही उसकों सहायता करती है, उसी प्रकार पुत्र आदि इष्ट वस्तुओं को देनेवाला केवल धर्म है, परन्तु मंत्र आदि ही उसके सहायक हैं. " यह विचार कर राजाने पुत्र प्राप्तिके निमित्त एक दिन स्थिर चित्त होकर गांगलि ऋषिके दिये हुए मंत्र का जप किया, जिससे सब रानियो के एक एक पुत्र उत्पन्न हुआ । सत्य है, योग्य कारणोंके मिलजाने. से अवश्य ही कार्यकी उत्पति होती है । यद्यपि राजा मृगध्वज सरल स्वभावसे चन्द्रवती रानीको बहुत मानता था, तथापि उसने पति के साथ जो बैर किया था उस पापके कारण उसे सन्तान न हुई । एक दिन रात्रि के समय रानी कमलमाला सुख पूर्वक सो रही थी, उस समय उसने एक दिव्य स्वयं देखा और राजासे इस भांति कहने लगी कि, "हे प्राणनाथ ! आज कुछ रात्रि रहते स्वप्नावस्था में मैंने उस आश्रमके चैत्य में विराजमान श्री ऋषभदेव भगरानको वन्दना की, उसी समय भगवानने प्रसन्न होकर मुझसे कहा कि, 'हे भद्रे ! तूं यह तोता ले तथा अन्य किसी समय मैं तुझे एक हंस दूंगा । यह कह कर भगवान. ने एक दिव्य वस्तुके समान अत्यन्त सुन्दर तोता मुझे दिया ।
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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