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________________ ( ४८० ) क्रोधित होगई हो तो उसे समझावे, धनके लाभहानिकी बात तथा घरमें की गुप्त सलाह उसके सन्मुख प्रकट न करे ?" तेरे ऊपर और विवाह कर लूंगा" ऐसे वचन न बोलनेका यह कारण है कि, कौन ऐसा मूर्ख है, जो स्त्रीके ऊपर क्रोध आदि आनेसे दूसरी स्त्रीसे विवाह करनेके संकट में पड़े ? कहा है कि बुभुक्षितो गृहाद्याति, नाप्नोत्यम्बुच्छटामपि । अक्षालितपरः शेते, भार्याद्वयवशो नरः ॥ १ ॥ वरं कारागृहे क्षिप्तो वरं देशान्तरभ्रमी । वरं नरकरूञ्चारी, न द्विभार्यः पुनः पुमान् ॥ २॥ दो स्त्रियों के वशमें पड़ा हुआ मनुष्य घरमें से भूखा बाहर जाता, घरमें पानीकी एक बूंद भी नहीं पाता और पैर धोये बिना ही सोता है। पुरुष कारागृहमें पटक दिया जाय, देशान्तरमें भटकता रहे अथवा नर्कवास भोगे वह कुछ ठीक है, परन्तु दो स्त्रियोंका पति होना ठीक नहीं. कदाचित किसी योग्यकारण से पुरुषको दो स्त्रियोंसे विवाह करना पड़े तो उन दोनोंमें तथा उनकी संतान में सदैव समदृष्टि रखना. कभी किसीकी पारी खंडित न करना. कारण कि सोतकी पारी तोडकर अपने पति के साथ कामसंभोग करनेवाली स्त्रीको चौथे व्रतका अतिचार लगता है ऐसा कहा है । २ विशेष क्रोधित होने पर उसे समझानेका कारण यह है कि, वैसा न करने से कदाचित् वह सोमदत्तकी स्त्रीकी भांति अचानक कुए में जा गिरे अथवा ऐसा
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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