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________________ (२) पृष्ठांक. १२१ १२३ १२४ विषयांक विषय का नाम १० नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव ये चार प्रकारके श्रावकका स्वरूप, मूल गाथा ४ ११ व्रतश्रावक पर सुरसुंदरकुमारका स्त्रियोंकी कथा १२ श्रावकसे त्रिविधत्रिविधप्रकारके पञ्चखान क्यों नहीं होता ? इस सम्बन्धमें प्रश्नोत्तर १३ मातपितासमानआदि दो तरह से चार प्रकार के श्रावक और उसका द्रव्यभावभेद १४ श्रावकशब्दका अनेक तरह से अर्थ दिनकृत्य प्रकाश. १ १५ श्रावकने प्रातः किस वक्त उठना ? और उठकर क्या करना?, मूलगाथा ५ १६ पृथ्वीआदि पांचतत्त्वोंका तथा चन्द्रसूर्यनाडीका स्वरूप और उससे होनेवाला फल १७ नवकार गिननेकी विधि १८ जाप करनेकी विधि व उसके लाभ १९ नवकार गिननेका फल और उसपर शिवकुमार और वटशवलिकाका दृष्टान्त २० धर्मजागरिका करने की विधि २१ रात्रिमें हुए कुस्वप्नदुःस्वप्नके नाशके लिये करनेके - काउस्सम्गकी विधि १३३ १३६ १३८ १४३ १४४ १४६
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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