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________________ (४५८) लोक,तथा धर्म इनमेंसे किसीके भी प्रतिकूल जो बात हो उसको छोडदे, तो वह समकित तथा धर्मको पाता है। .. सौबीर (सिंध ) देशमें खेती और लाट ( भरुच्छ प्रांत ) देशमें मद्यसन्धान ( दारू बनाना ) देशविरुद्ध है. दूसरा भी जिस देशमें शिष्टलोगोंने जो मना किया होवे, वह उस देशमें देशविरुद्ध जानो. अथवा जाति, कुलआदिकी रीतिरिवाज को जो अनुचित हो वह देशविरुद्ध कहलाता है। जैसे ब्राह्मणको मद्यपान करना तथा तिल, लवणआदि वस्तु बेचना, यह देशविरुद्ध है. उनके शास्त्रमें कहा है कि, तिलका व्यापार करनेवाले ब्राह्मण जगत्में तिलके तुल्य हलके तथा काला काम करनेके कारण काले गिने जाते हैं, तथा परलोकमें तिलकी भांति घाणीमें पीले जाते हैं. कुलकी रीतिके प्रमाणसे तो चौलुक्यआदि कुलमें उत्पन्न हुए लोगोंको मद्यपान करना देश. विरुद्ध है अथवा परदेशीलोगोंके सन्मुख उनके देशकी निन्दा करना आदि देशविरुद्ध कहलाता है। ___ कालविरुद्ध-शीतकालमें हिमालयपर्वतके समीपस्थ प्रदेशमें जहां अत्यन्त शीत पडती हो अथवा ग्रीष्मऋतुमें मारवाड(बीकानेर प्रांत ) के समान अतिशय निर्जलदेशमें, अथवा वर्षाकालमें जहां अत्यंत जल, दलदल और बहुत ही चिकना कीचड रहता है ऐसे पश्चिम तथा दक्षिणसमुद्रके किनारे बसे हुए कोकणआदि देशोंमें अपनी उचितशक्ति तथा किसीकी
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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