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________________ (३७१) लोग जिसभांति संसार संबंधी कार्य में सर्व आरभं पूर्वक अहोरात्रि उद्यम करते हैं, उसका एक लाखवां अंश तुल्य भी उद्यम धर्ममें करे, तो क्या प्राप्त करना बाकी रहे ? मनुष्यकी आजीविका १ व्यापार, २ विद्या, ३ खेती, ४ गाय, बकरी आदि पशुकी रक्षा, ५ कलाकौशल, ६ सेवा और ७ भिक्षा इन सात उपायोंसे होती है. जिसमें वणिक् लोग व्यापारसे वैद्यआदि लोग अपनी विद्यासे, कुनबी लोग कृषिसे, ग्वाल गडरिये गायआदिके रक्षणसे, चित्रकार सुतारआदि अपनी कारीगरीसे, सेवक लोग सेवासे और भिखारीलोग भिक्षासे अपनी आजीविका करते हैं। उसमें धान्य, घृत, तेल, कपास, सूत, कपडा, तांबा, पीतल आदि धातु, मोती, जवाहरात, नाणां ( रुपया पैसा ) आदि किरानेके भेदसे अनेक प्रकारके व्यापार हैं. लोकमें प्रसिद्ध है कि, 'तीन सौ साठ किराने हैं.' भेद प्रभेद गिनने लगें तो व्यापारकी संख्याका पार ही नहीं आ सकता. ब्याजसे उधार देना, यह भी व्यापार ही में समाता है। औषधि, रस, रसायन, चूर्ण, अंजन, वास्तु, शकुन, निमित्त सामुद्रिक, धर्म, अर्थ, काम, ज्योतिष, तर्कआदि भेदसे नाना प्रकारकी विद्याएं हैं। जिसमें वैद्यविद्या और गांधीपन (अत्तारी) ये दो विद्याएं प्रायः बुरा ध्यान होना संभव होनेसे विशेष गुणकारी नहीं है। कोई धनवान पुरुष रोगी होजाय अथवा
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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