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________________ ( २९९ ) लेजाना तथा जिनेश्वर भगवान की बडी आशातना करना इत्यादि उत्कृष्ट आशातना है, अथवा जिन-प्रतिमाकी जघन्यसे आशातना १०. मध्यम से ४०, और उत्कृष्टसे चौरासी हैं. यथा: जिनमंदिर के अन्दर १ पान सुपारी खाना, २ पानीआदि पीना, ३ भोजन करना, ४ जूते पहिरना ५ स्त्री संभोग करना, ६ निद्रा लेना, ७ थुंक आदि डालना, ८ लघुनीति करना, ९ बडीनीति करना, तथा १० जुआं खेलना. इस प्रकार जिनमंदिर में जघन्यसे १० आशातना अवश्य त्यागना चाहिये । जिनमंदिरमें १ लघुनीति करना, २ बडीनीति करना, ३ जूते पहिर कर जाना, ४ पानीआदि पीना, ५ भोजन करना, ६ निद्रा लेना, ७ स्त्रीसंभोग करना, ८ पान सुपारी. खाना, ९ धूंक आदि डालना, १० जुआं खेलना, ११ द्यूतक्रीडा देखना, १२ विकथा करना, १३ पालखी मारकर बैठना, १४, चौंडे पग करके बैठना, १५ परस्पर विवाद करना, १६ हंसी करना १७ ईर्ष्या करना, १८ बैठने के लिये सिंहासनादि उपभोग योग्य वस्तु काममें लेना, १९ केश व शरीरकी आभूषणादिसे शोभा करना, २० छत्र धारण करना, २१ खड्ग धारण करना, २२ मुकुट धारण करना, २३ चामर धारण करना, २४ धरना देकर बैठना, २५ स्त्रियोंके साथ विकार सहित हास्य करना, २६ जार पुरुषोंके साथ प्रसंग करना. २७ पूजाके समय मुख
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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