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________________ क्या होता है ?" माताने समझाया कि "प्रणाम-जुहार करना नीची निगाहसे चलना, राजाकी इच्छानुसार वर्ताव करना इत्यादि विनय कहलाता है ।” कुछ कालके अनन्तर एक दिन वह लडका राज्यसेवाके हेतु राजधानीकी ओर रवाना हुआ। मार्गमें मृगका शिकार करनेकी इच्छासे कुछ शिकारी लोग छिप कर बैठे हुए थे । ज्योंही उस लडकेकी निगाह उनपर पडी त्यों ही उसने उनके सन्मुख जाकर उच्चस्वरसे कहा कि 'भाइयों जुहार !" इस तरहका जोरदार शब्द होनेसे आसपासके तमाम मृग भाग गये। इससे क्रुद्ध होकर शिकारियोंने उसे खूब मारा । जब उसने अपनी माताके उपदेशकी सत्य बात कह सुनाई, तब उन्होंने यह कह कर छोडा कि " ऐसे अवसर पर चुप चाप निकल जाना चाहिये ।" आगे जाते २ उसे कुछ धोबी मिले । यह लडका उनको देख कर चोरकी भांति चुपचाप जाने लगा। उन धोबियोंके कपडे पहिले कइबार चोर चुरा लेगये थे,अतः उन्होंने इसी लडकेको चोर समझकर पकड लिया और शिकारीकी बात कहने पर यह कह कर छोड दिया कि ऐसे अवसर पर यह बोलना कि “पानीमें खूब धुलजानेसे साफ होजाओ।” आगे जाकर देखा कि किसान लोग धरतीमें अन्न बो रहे हैं इसने उन्हें देख कर धोबियोंके कथनानुसार कहना शुरू किया कि "पानीमें खूब धुलजानेसे साफ होजाओ." यह सुनते ही उक्त किसानोंने भी इसको खूब मारा, अन्तमें पूर्वोक्त सत्य बात मालूम होने पर छोडा और यह
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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