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________________ ( १५८ ) शंकाः - शस्त्रका सम्बन्ध न होते केवल सौ योजन पर जाने ही से लवणादिक, वस्तु अचित्त किस प्रकार होजाती है ? समाधान - जो वस्तु जिस देशमें उत्पन्न होती है उसको वह देश, वहांका जलवायु आदि अनुकूल रहते हैं. उसी वस्तुको वहांसे परदेश लेजावें तो उसको पूर्व उस देशमें जलवायु आदिका जो पौष्टिक आहार मिलता था, उसका विच्छेद होने से वह वस्तु अचित्त होजाती है । एकपात्र से दूसरे पात्रमें अथवा एक कोठे में से दूसरे कोठे में इस तरह बारम्बार फिरानेसे लवणादि वस्तु अचित्त होजाती है । वैसेही पवनमे, अग्निसे तथा रसोई आदिके स्थानमें धुआं लगने से भी लवणादि वस्तु अचित्त होजाती हैं. " लवणादि" इस पदमें " आदि" शब्द ग्रहण किया है इससे हरताल, मनशिल, पीपल, खजूर, दाख, हरडा यह वस्तुएं भी सौ योजन ऊपर जानेसे अचित्त होजाती हैं, ऐसा समझना चाहिये । पर इसमें कितनेक आचीर्ण ( वापरने योग्य ) और कितनेक अनाचीर्ण (न वापरने योग्य) हैं। पीपल, हरडा इत्यादि आचीर्ण हैं तथा खजूर दाख आदि अनाचीर्ण हैं । अब सब वस्तुओं के परिणाम होनेका साधारण (जो वस्तु साधारणको लागू पडे) कारण कहते हैं- गाडीमें अथवा बैलआदिकी पीठपर बारम्बार चढ़ाने उतारनेसे, गाडीमें अथवा बैल पर लादे हुए लवणादि वस्तुके बोझमें मनुष्य के बैठनेंस, बैल तथा मनुष्य के शरीरकी उष्णता लगनेसे, जिस वस्तुका जो
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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