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________________ (१५६) गेहूँ, ज्वार इत्यादिककी धानियां, क्षारादिक दिये बिना तिल, चनेके छोड गेहूंकी बालें, पोहे, सेकीहुई फली, पपडी आदि, मिर्च, राई आदिका बघार (छौंक) मात्र दिये हुए चिभडे आदि तथा जिसके अंदर बीज सचित्त हैं ऐसे सर्व पकेहुए फल मिश्र (कुछ सचित्त कुछ अचित्त) हैं । जिसदिन तिलपापडी की हो, उसदिन वह मिश्र होती है, अन्न अथवा रोटी आदिमें डाली होवे तो वह दोघडीके उपरांत अचित्त होती है, दक्षिण, मालवा इत्यादि देशोंमें बहुतसा गुड डालनेसे तत्काल करीहुई तिलपापडी उसी दिन भी अचित्त माननेका व्यवहार है । वृक्ष परसे तत्काल लियाहुआ गोंद,लाख छाल आदि तथा तत्काल निकाला हुआ निम्बू , नीम, नारियल, आम, सांटा आदिका रस वैसही तत्काल निकाला हुआ तिलादिकका तैल, तत्काल तोडा हुआ व निजि किया हुआ नारियल, सिंघाडा, सुपारी आदि निर्बीज किये हुए पके फल, विशेष कूटकर कण रहित किया हुआ जीरा, अजमान आदि दो घडी तक मिश्र और पश्चात् अचित्त ऐसा व्यवहार है। दूसरीभी जो वस्तु प्रबल अग्निके संयोगसे अचित्त करी हुई हो वह, दो घडी तक मिश्र और पश्चात् अचित्त हो जाती है, ऐसा व्यवहार है । वैसे ही कच्चे फल, कच्चे धान्य, बहुत बारीक पिसा हुआ नमक इत्यादि वस्तुएं कच्चे पानीकी भांति अग्नि आदि प्रबलशस्त्रके बिना अचित्त नहीं होती। श्रीभग
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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