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________________ (१४८) चौथे प्रहरमें दिखे हुए स्वम क्रमसे बारह, छः, तीन और एक मासमें अपना फल देते हैं। रात्रिकी अंतिम दो घडीमें देखे हुए स्वम दस दिनमें फल देते हैं, और सूर्योदयके समय देखा हुआ स्वम तो तत्काल फल देता है! एकके ऊपर एक आये हुए, दिनमें देखे हुए, मनकी चिंतासे, शरीरकी किसी व्याधिसे अथवा मलमूत्रादिकके रोकनेसे आये हुए स्थान निरर्थक हैं । पहिले अशुभ और पश्चात् शुभ आवे अथवा पहिले शुभ और पश्चात अशुभ आवे, तो भी पीछेसे आवे वही स्वप्न फलका देनेवाला है। बुरा स्वम आवे तो उसकी शांति करना चाहिये । स्वमचिंतामणिशास्त्र में भी कहा है कि, अनिष्ट स्वप्न देखते ही रात्रि हो तो पुनः सो जाना, वह स्वम कभी किसीको नहीं कहना । कारण कि, वैसा बुरा स्वम का बुरा फल कदाचित् नहीं भी होता है । जो पुरुष प्रातःकाल उठ कर जिनभगवानका ध्यान अथवा स्तुति करता है किंवा पांच नवकार गिनता है उसका दुःसम्म निरर्थक हो जाता है । देवगुरूकी पूजा तथा शक्तिके अनुसार तपस्या करना । इस प्रकार जो मनुष्य धर्मकृत्यमें रत रहते हैं उनको आये हुए बुरे स्वम भी उत्तमफलको देनेवाले हो जाते हैं । देव गुरू उत्तमतार्थ तथा आचार्य इनका नाम लेकर तथा स्मरण करके जो मनुष्य निद्रा लेते हैं उनको कभी मी बुरा स्वप्न नहीं आता। पश्चात् खुजली आदि हुई हो तो उस पर थूक लगा कर मलना, और शरीरके अवयव दृढ होनेके हेतु अंगमर्दन करना।
SR No.023155
Book TitleShraddh Vidhi Hindi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJainamrut Samiti
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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