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निरर्थक दोष लगते हैं । श्रीभगवतीसूत्र में कहा है कि--धर्मी पुरुष जागते तथा अधर्मी पुरुष सोते हों तो उत्तम है । इसी प्रकार श्री महावीर स्वामीने वत्सदेश के राजा शतानीककी बहिन जयन्तीको कहा है.
निद्रा जाती रहे तब स्वरशास्त्र के ज्ञाता पुरुषने पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश इन पांच तत्त्वोंमें से कौनसा तत्त्व श्वासोश्वास में चलता है सो ज्ञात करना कहा है कि -- पृथ्वीतत्त्व और जलतत्त्वमें निद्राका छेद हो तो वह कल्याण के लिए है, परंतु आकाश वायु के अभितत्व में तो वह दुःखदायक है । शुक्लपक्ष के प्रातःकालमें वाम - (चंद्र) नाडी और कृष्णपक्षके प्रातः काल में दक्षिण (सूर्य) नाडी उत्तम है। शुक्लपक्ष तथा कृष्णपक्षमें अनुक्रमसे तीन दिन ( पडवा, बीज, तीज ) तक प्रातः काल में चन्द्रनाडी और सूर्यनाडी शुभ है । शुक्लप्रतिपदा ( उजेली पडवा ) से लेकर प्रथम तीन दिन ( तीज ) तक चन्द्रनाडीमें वायुतत्व रहता है, उसके पश्चात् तीन दिन ( चौथ, पंचमी, छड ) तक सूर्यनाडी में वायुतत्व रहता है, इसी प्रकार आगे चले तो शुभ है, परन्तु इससे उलटा अर्थात् पहिले तीन दिन सूर्यनाडी में चायुतत्व और पिछले तीन दिन चन्द्रनाडी में वायुतत्व इस अनुक्रमसे चले तो दुःखदायी है ।
चन्द्रनाडीमें वायुतत्व चलते हुए जो सूर्योदय होवे तो सूर्यनाडी में अस्त होना शुभ हैं, तथा जो सूर्योदय के समय