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पृष्ठांक.
(१०) विषयांक. विषय का नाम १२२ देनेलेनेमें विवेकिओंका कार्य, १२३ पुण्य प्रबल होवे तो गया हुआ धन भी पीछा
मिल सकता है, इस पर आभडश्रेष्ठीकी कथा ३९८ १२४ भाग्यहीनपुरुषने भाग्यशालीपुरुषका आश्रय
करना, इस पर एक मुनीमकी कथा .. ४०२ १२५ लक्ष्मी प्राप्त होने पर भी अहंकार नहीं करना. ४.३ १२६ धनवानोंको अवश्य क्षमा और संप रखना, ४०४ १२७ न्यायकी गति और जगह जगह न्याय करनेको जाने . ऊपर एकश्रेष्ठीकी कथा
४०७ १२८ पापकी अनुमोदना न करने पर दो मित्रोंकी कथा ४०८ १२९ न्यायसे व्यापार करनेके ऊपर हेलाक श्रेष्ठीकी कथा ४१० १३० विश्वासघात करनेके ऊपर राजपुत्रकी कथा : ४१३ १३१ पापकी गुप्तलघु आदि चौभंगी
४१७ १३२ न्यायकी आवश्यकता और पुण्यपापकी कारण सहित चौभंगी.
४१८ १३३ सत्य बोलने पर महणसिंहका तथा भीमसोनीका
दृष्टांत १३४ मित्र कैसा रखना ? उसका स्वरूप १३५ साक्षी रखे बिना द्रव्य न देने पर धनेश्वरश्रेष्ठीकी कथा.
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