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________________ योग-प्रयोग-अयोग/१०९ पद्मासन से लाभ १. इस आसन में ध्यान की प्रधानता २. शारीरिक धातुओं की समानता ३. मानसिक एकाग्रता ४. जंघा, उरू आदि स्नायुओं की सशक्तता ५. इन्द्रियों पर विजय शरीर में ग्रंथियों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। पदमासन और योगमुद्रा द्वारा ये ग्रंथियाँ सुदृढ़ होने से विशेष रसस्रावी होती हैं, उसमें अनेक ग्रंथियाँ ऐसी हैं जैसे-पिच्यूटरी, पिनियल, थायरॉइड इत्यादि विशेष स्थान में परिवर्तन लाती हैं तथा वृत्तियों पर नियन्त्रण लाती हैं । एड्रीनल ग्रन्थि नाभि के नीचे के स्तर पर होती है। इसका सम्बन्ध मद्य, विषय, कषाय कामनाओं से है। सिंहासन, पद्मासन, पर्यंकासन, योगमुद्रा आदि आसन से ग्रंथियों का सम्यक साव होता है और देहात्मभिन्नता, मानसिक संतुलन, और वृत्तियों की निरोधता होती है। वीरासन, सिद्धासन,पद्मासन आदि से तेजस्विता, ओजस्विता, स्थिरता, धीरता इत्यादि गुण प्रकट होते हैं । वृक्क ग्रंथि रक्त को शुद्ध बनाती है और शुक्रग्रंथि इन आसनजय द्वारा विकारों का उपशमन करती है। सभी आसनों से ब्रह्मचर्य साधना सिद्ध होती है। मानसिक तनाव से मक्ति होती है। आध्यात्म योग जागृत होता है। विकल्पं शक्ति का अभाव होता है, संकल्प शक्ति सुदृढ़ बनती है। वीर्य का ऊध्वीर्करण होता है। प्रसन्नता और आनन्द सहज मिलता है और योग के प्रत्येक द्वार खुल जाते हैं । ५. भाव प्राणायाम (प्राणायाम) प्राण अर्थात् बल, शक्ति, ऊर्जा, जैन दर्शन में ऐसी शक्ति के देश प्रकार प्रसिद्ध हैं। १. श्रोतेन्द्रिय बल प्राण, २. चक्षुरेन्द्रिय बल प्राण, ३. घ्राणेन्द्रिय बल प्राण, ४. रसेन्द्रिय बल प्राण, ५. स्पर्शेन्द्रिय बल प्राण, ६. मन बल प्राण, ७. वचन बल प्राण, ८. काय बल प्राण, ९. श्वासोश्वास बल प्रांण और १०. आयुष्य बल प्राण, इन दशों प्राण पर विजय प्राप्त करने से अद्भुत शक्ति प्रकट होती है। ___अशुभ योग और कषाय का नाश करने का उपाय भाव प्राणायाम है। ध्यान सिद्धि के लिए भाव प्राणायाम विशेष उपयोगी है। .... सांस और उच्छवास को अनुशासित विस्तृत और व्यवस्थित करना तथा उसकी गति का निग्रह करना प्राणायाम है। प्राणवायु पर विजय प्राप्त करने से आसन-शुद्धि, नाड़ी-शुद्धि और प्राणशक्ति का ऊर्ध्वारोहण होता है।
SR No.023147
Book TitleYog Prayog Ayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktiprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1993
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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