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ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण आसीन होते थे। इस मण्डप में वर-वधू के बैठने के लिए एक स्वतंत्र मंच बना होता था। द्रौपदी के स्वयंवरमण्डप में क्रीड़ा/लीला करती हुई
पुतलियाँ लगाई गई थीं।232 उपस्थानशाला
ज्ञाताधर्मकथांग में बहुत से स्थानों पर 'उपस्थानशाला' शब्द राजा के सभा भवन के लिए आया है।33 इस सभा भवन यानी उपस्थानशाला में राजा अनेक गणमान्य लोगों के साथ बैठकर विचार-विमर्श करते थे।
देवकुल
देवमंदिर आराम
दंपत्तियों के रमणोपयोगी नगर के समीपवर्ती बगीचा। (कल्पसूत्र) उद्यान
खेलकूद या लोगों के मनोरंजन के निमित्त निर्मित बाग। (कल्पसूत्र, पुष्कर मुनि) दीर्घिका
ज्ञाताधर्मकथांग में कई स्थानों पर 'दीर्घिका' का उल्लेख मिलता है।34 दीर्घिका एक लम्बी बावड़ी होती थी। उद्यानों के मध्य स्थित ये दीर्घिकाएँ अनेक प्रकार के कमल के फूलों एवं विविध रंगीय पुष्पों से युक्त होती थी।235 अन्तःपुर
राजभवन का एक प्रमुख अंग राजा का अन्तःपुर होता था, जहाँ रानियाँ निवास करती थी। ज्ञाताधर्मकथांग में अन्तःपुर के लिए 'रनिवास' (रनवास) शब्द प्रयुक्त हुआ है।236 शयनागार
___ ज्ञाताधर्मकथांग में एकाधिक स्थानों पर शयनागार (वासगृह) का उल्लेख मिलता है।37 धारिणीदेवी के शयनागार में सुगंधित और श्रेष्ठ पुष्पों से कोमल
और रोंएदार शय्या बिछी हुई थी। कपूर, लौंग, मलयज चन्दन, कृष्णअगर आदि अनेकानेक सुगंधित द्रव्यों से बने हुए धूप के जलने से उत्पन्न हुई गंध से शयनागार महक रहा था। मणियों की किरणों के प्रकाश से वहाँ का अंधकार गायब हो गया था।38 सागरपुत्र और सुकुमालिका वासगृह में शयन करते हैं ।239
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