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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन काशी ज्ञाताधर्मकथांग में काशी का नामोल्लेख मिलता है । इसका राजा शंख था।" यह मध्यप्रदेश का प्राचीन जनपद था । इसकी राजधानी और प्रमुख नगरी वाराणसी थी । काशी के वस्त्र और चन्दन का उल्लेख बौद्ध जातकों में मिलता है। काशी और कौशल के अठारह गणराजाओं का उल्लेख प्राचीन जैन सूत्रों में मिलता है। काशी को जीतने के लिए कौशल के राजा प्रसेनजीत और मगध के राजा अजातशत्रु में युद्ध हुआ था, जिसमें अजातशत्रु की विजय हुई और उन्होंने काशी को मगध में मिला लिया था | 24 इस जनपद में वाराणसी, मिर्जापुर, जौनपुर, आजमगढ़ और गाजीपुर जिले का भू-भाग सम्मिलित है । जैनधर्म के तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म इसी जनपद की प्रसिद्ध नगरी वाराणसी में हुआ था । जैन - साहित्य में काशी जनपद का महत्वपूर्ण स्थान है 195 काकन्दी ज्ञाताधर्मकथांग में काकन्दी नगरी का नामोल्लेख मिलता है ।" काकन्दी के अश्व व्यापारी प्रसिद्ध थे । ये व्यापारी व्यापारार्थ अन्य नगरों में अपने अश्व लेकर जाया करते थे ।” काकन्दी नगरी जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में स्थित थी । काकन्दी नगरी के धन्य अणगार ने उत्कृष्ट तप साधना से अपने शरीर को शुष्क- नीरस बना लिया, वे घोर तपस्पी - महानिर्जरा कारक थे ।” 1 काकन्दी कांपिल्य के आस-पास थी । कांपिल्य की पहचान उत्तरप्रदेश के फर्रूखाबाद जिले में स्थित काम्पिल्य नामक स्थान से की जाती है । पश्चात्वर्ती अनुसंधान और उत्खनन से काकन्दी की स्थिति उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले में मानी जाने लगी है। नोनखार स्टेशन से लगभग तीन मील दक्षिण में खुखुन्दू नामक ग्राम से इसकी पहचान की जाती है। 100 आधुनिक कोकंद देश का पुराना नाम काकंदी था । 101 पंचाल जनपद ज्ञाताधर्मकथांग में पंचाल जनपद का उल्लेख मिलता है। 102 पंचाल एक समृद्ध जनपद था। महाभारत में पंचाल का अनेक स्थानों पर उल्लेख मिलता है। पंचाल में जन्म लेने के कारण द्रौपदी पांचाली कही जाती थी । 103 आधुनिक एटा, बदायूँ, मैनपुरी, फर्रूखाबाद और उसके आसपास के प्रदेश को पंचाल माना 80
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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