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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन हैं और कितनी ही कथाएँ कल्पित हैं। प्रथम अध्ययन का मुखपात्र मेघकुमार ऐतिहासिक व्यक्ति है। तुंबे आदि की कुछ कथाएँ रूपक के रूप में हैं। इन रूपक-कथाओं का उद्देश्य भी प्रतिबोध प्रदान करना है। द्वितीय श्रुतस्कंध में दस वर्ग हैं। उनमें से प्रत्येक धर्मकथा में 500-500 आख्यायिकाएँ और एक-एक आख्यायिका में 500-500 उप-आख्यायिकाएँ हैं और एक-एक उप-आख्यायिका में 500-500 आख्यायिकोपाख्यायिकाएँ हैं। पर वे सारी कथाएँ आज उपलब्ध नहीं हैं। वर्तमान में प्रथम श्रुत स्कंध में 19 कथाएँ और द्वितीय श्रुतस्कंध में 206 कथाएँ हैं। _ भगवान महावीर ने भी कथाओं के माध्यम से प्रतिबोध प्रदान किया। आलोच्य आगम में आत्म उन्नति का मार्ग, इस मार्ग के अवरोध और इन अवरोधों को दूर करने के उपायों की सांगोपांग चर्चा की गई है। महिला वर्ग द्वारा उत्कृष्ट आध्यात्मिक उत्कर्ष, आहार का उद्देश्य, संयमी जीवन, शुभ परिणाम, अनासक्ति व श्रद्धा का महत्व आदि विषयों पर कथाओं के माध्यम से प्रकाश डाला गया है। ये कथाएँ वाद-विवाद के लिए नहीं, जीवन के उत्थान के लिए हैं। इनमें अनुभव का अमृत है। यह अमृतपान इस कथासागर में गोते लगाकर ही किया जा सकता हैप्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्तज्ञात इस अध्ययन में श्रेणिक पुत्र मेघकुमार का वर्णन है। वह भगवान महावीर की ओजस्वी वाणी को श्रवण कर संयम मार्ग पर अग्रसर होता है लेकिन संयम जीवन की प्रथम रात्रि को ही अरति परिषह से खिन्न होकर संयम से विचलित होने लगता है। भगवान महावीर द्वारा उसे पूर्व भव सुनाकर संयम में पुनः स्थित करने का विवेचन इस अध्याय में किया गया है। महावीर की प्रेरणास्पद वाणी उसका हृदय बदल देती है और वह अपना सम्पूर्ण जीवन श्रमणों की सेवा के लिए समर्पित कर देता है। मेघकुमार के समान ही नवदीक्षित नन्द का वर्णन बौद्ध साहित्य सुत्तनिपात, धम्मपद, अट्ठकथा, जातककथा एवं थेरगाथा' में प्राप्त होता है। नवविवाहिता पत्नी का परित्याग कर दीक्षा ग्रहण करने वाला नन्द अपनी पत्नी के रूप-सौंदर्य के स्मरण में खोया रहता है। जिस प्रकार भगवान महावीर मेघकुमार को पूर्वभव की दारूण वेदना 26
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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