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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन सगडवूह
सगडवूहं का अर्थ है शकट व्यूह रचना करना। कर्ण के साथ वीर जब वार्तालाप करते हुए जा रहे थे तब द्रोणाचार्य ने अपनी सेना के द्वारा शकट व्यूह की रचना की।126 जुद्धं
जुद्धं का तात्पर्य सामान्य युद्ध करने से है। ज्ञाताधर्मकथांग में प्रसंग आता है कि मिथिलानगरी की सीमा पर कुम्भराजा और जितशत्रु आदि छः राजाओं के मध्य युद्ध हुआ।27 पांडवों ने वासुदेव कृष्ण के समक्ष पद्मनाभराजा से युद्ध करने की इच्छा व्यक्त की।128 अट्ठिजुद्धं
अट्ठिजुद्धं से तात्पर्य है- अस्थि से युद्ध करना। ज्ञाताधर्मकथांग में अट्ठिजुद्धं का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन 'अट्ठि' शब्द का उल्लेख मिलता है। नगररक्षकों ने विजयचोर को अस्थि आदि से पीटा। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अट्ठिजुद्धं की कला प्रचलित रही होगी। मुट्ठिजुद्धं
मुट्ठिजुद्धं का अर्थ है- मुष्टियुद्ध करना। ज्ञाताधर्मकथांग में इसका उल्लेख विभिन्न रूपों में मिलता है। मेघकुमार के जन्मोत्सव के अवसर पर मौष्टिक (मुक्केबाज) आदि को अपनी कला प्रदर्शित करने के लिए बुलाया गया।130 नगररक्षकों ने विजयचोर को मुष्टि से पीटा।31 नंदमणिकार की चित्रसभा में मुष्टियुद्ध करने वाले भोजन एवं वेतन देकर रखे हुए थे। 32 बाहुजुद्धं
__ इसका तात्पर्य है- बाहुयुद्ध करना। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि मेघकुमार बाहुयुद्ध कला में निपुण हो गया।133 ईसत्थं
ईसत्थं का अर्थ है- बहुत को थोड़ा और थोड़े को बहुत दिखलाना। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि विजयचोर न्यूनाधिक माप-तौल करने वाला था।134 धणुव्वेयं
इसका अर्थ है- धनुषबाण संबंधी कौशल होना। ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख
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