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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में शिक्षा मूर्तिकला यद्यपि शिक्षा के पृथक् विषय के रूप में मूर्तिकला का उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मूर्तिकारों द्वारा मल्ली भगवती की स्वर्णमयी प्रतिमा का निर्माण 03 तत्कालीन मूर्तिकला की उत्कृष्टता का परिचायक है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मूर्तिकला की शिक्षा अपने चरम पर थी। संगीतकला ज्ञाताधर्मकथांग में नट्ट (नाटक), गीयं (गायन), वाइयं (वाद्य बजाना), सरगयं (स्वर जानना), पोक्खरगयं (पुष्कर नामक वाद्य बजाना), समतालं (समान ताल जानना) आदि कलाओं का उल्लेख मिलता है104, जो संगीत के ही विभिन्न अंग कहे जाते हैं। मेघकुमार के जन्मोत्सव पर नटों, नृत्यकारों, वाद्य बजाने वालों आदि ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।05 नंदमणिकार की चित्रसभा में नाटक व नृत्य करने वाले, तूंबे की वीणा बजाने वाले व तूण नामक वाद्य बजाने वाले पुरुष सवैतनिक कार्य करते थे।106 चित्रकला ___ज्ञाताधर्मकथांग में पृथक् विषय के रूप में चित्रकला का उल्लेख नहीं मिलता है। मल्लदिन्न कुमार द्वारा चित्रसभा निर्माण करवाना तथा चित्रकारों की श्रेणी को बुलवाकर उनसे भावपूर्ण चित्रांकन करवाने का उल्लेख मिलता है। सभी चित्रकार अपने साथ तूलिकाएं और रंग लेकर आए।107 इस प्रकार स्पष्ट है कि चित्रकला भी शिक्षा के एक विषय के रूप में प्रतिस्थापित थी। पाककला मेघकुमार व देवदत्त के नामकर्म के अवसर पर अशन, पान, खादिम और स्वादिम वस्तुओं का निर्माण कर परिजनों को भोजन करवाया गया। ज्ञाताधर्मकथांग में पाकशालाओं का भी उल्लेख मिलता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि पाककला के शिक्षण की भी व्यवस्था रही होगी। चिकित्साशास्त्र ज्ञाताधर्मकथांग में शिक्षा के पृथक् विषय के रूप में चिकित्साशास्त्र का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन चिकित्साशालाओं तथा चिकित्साकर्मों का विवेचन यत्र-तत्र मिलता है। नन्दमणियार ने राजगृह में विशाल चिकित्साशाला का निर्माण करवाया।11 नन्दमणियार के शरीर में सोलह प्रकार के मरणांतक रोग उत्पन्न हुए। उसकी चिकित्सा के लिए विभिन्न वैद्यों ने प्रयास किए। उन्होंने उद्वलन, 219
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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