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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
प्रस्तुत परिभाषा में सर्वमान्य विचारों की बात की गई है जो असंभव-सा प्रतीत होता है। प्लेटो के अनुसार
"शिक्षा बालक के शरीर तथा आत्मा में उस सब सौन्दर्य एवं पूर्णता को विकसित करती है, जिसके वह योग्य है।"
___ प्लेटो गुणों को जन्मजात नहीं बल्कि अर्जित मानता है जबकि कुछ गुण आत्मा के स्वाभाविक गुण होते हैं जिन्हें सिर्फ अभिव्यक्ति का मार्ग दिखाना होता
अरस्तु की दृष्टि में
"शिक्षा मनुष्य की शक्ति का, विशेष रूप से मानसिक शक्ति का विकास करती है जिससे वह सत्यं, शिवं और सुन्दरम् का चिन्तन करने योग्य बन सके।"10 ___ सत्यं, शिवं और सुन्दरम् की प्राप्ति मात्र मानसिक विकास से संभव नहीं है इसके लिए शारीरिक, बौद्धिक और भावनात्मक विकास भी अपेक्षित है। सर्वांगीण विकास के बिना सत्यं-शिवं-सुन्दरम् की कल्पना निरर्थक है। महर्षि अरविन्द के मतानुसार
___ "अन्तर्निहित ज्योति की उपलब्धि के लिए शिक्षा विकासशील आत्मा की प्रेरणादायिनी शक्ति है।
प्रस्तुत परिभाषा में शिक्षा को आन्तरिक शक्तियों या गुणों की उद्घाटक माना गया है जबकि शिक्षा इन गुणों के उद्घाटन और विकास के साथ-साथ बाह्य गुणों के विकास में भी योगभूत बनती है। महात्मा गांधी के कथनानुसार
"शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा उसकी आत्मा के सर्वोत्तम गुणों को व्यक्त करना है। साक्षरता न तो शिक्षा की अंतिम अवस्था है और न ही प्रारंभिक ही, यह तो स्त्री-पुरुष को शिक्षित करने का केवल एक साधन है।"12
प्रस्तुत परिभाषा में गांधीजी ने शिक्षा व साक्षरता में अंतर को स्पष्ट करते हुए आन्तरिक गुणों की अभिव्यक्ति को ही शिक्षा माना है। विस्तृत दृष्टिकोण से साक्षरता भी शिक्षा का एक अंग है।
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