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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन संदर्भ
33. मातृदेवो भवः। - तैतीरीय उपनिषद् 1. अर्थशास्त्र 2/1/19/34, पृ. 93
(एकादश अनुवादक पृ.70-71, 11/2 2. वृहत्कल्पभाष्य- 4/5147
सानुवाद शांकरभाष्यसहित) 3. संस्कृत हिन्दी कोश, पृ. 589
34. दशवै तु सुदाऽऽचार्यः श्रोत्रियानतिरिच्यते 4. सोसायटी, पृ. 240-241
दशाचार्यनुपाध्याय उपाध्यायन् पिता दश।। ज्ञाताधर्मकथांग 1/2/11
पितॄन दश तु मातैका सर्वा वा पृथिवीमपि। वही 1/5/6
गुरुत्वेनाभिभवति नास्ति मातृसमो गुरुः ।। वही 1/1/26, 1/7/10, 1/8/47
-महाभारत (शांतिपर्व), 109/15-16 8. वही 1/9/6
35. नास्ति मातृसमा छायानास्ति मातृसमा 9. वही 1/9/7
गतिः । नास्ति मातृसमंऋणं नास्ति मातृसमा
प्रिया।। 10. वही 1/1/87, 102, 159, 210 11. ऋग्वेद 10/85/42, पृ. 1726
-महाभारत, 12/258/29, पृ. 1370 12. वही 10/85/46
36. (i) उपाध्यायान्दशाचार्य आचार्याणांशतं 13. जातक- 3, पृ. 150-180, 321-340
पिता। सहस्त्रं तु पितृन्माता 14. एव सह वसेमुवी पृथग्वा धर्माकाम्यया।
गौरवेणातिरिच्यते।। पृथक विवर्धते धर्मस्तस्याद्धा
--मनुस्मृति 2/145 पृ. 35 पृथक्रियाः।।
(ii) एभ्योमाता गरीयसी। -मनुस्मृति, 9/111, पृ. 249-250
-याज्ञवल्क्य स्मृति, 1/35, पृ. 66 15. ज्ञाताधर्मकथांग 1/7/3
37. ज्ञाताधर्मकथांग 1/1/120-130 16. वही 1/9/3
38. वही 1/1/119 17. वही 1/16/3
39. वही 1/1/131-132 18. वही 1/7/2-3
40. वही 1/2/11 19. वही 1/7/6
41. वही 1/2/15-16 20. वही 1/7/20, 22, 26, 30
42. वही 1/2/21-23 21. वही 1/1/90-93
43. वही 1/18/25, 30 22. वही 1/7/5-6
44. वही 1/2/40-41 23. वही 1/16/129
45. वही 1/5/13-16 24. वही 1/7/4
46. वही 1/14/17-22 25. वही 1/9/4-5
47. "उपपन्ना हि दारेषु प्रभुतासर्वतोमुखी" 26. वही 1/7/20, 22, 26, 30
-अभिज्ञानशाकुंतलम् 5/26, पृ. 177 27. वही 1/9/63-65
48. तमुत्सृष्टं तदागर्भं राधाभर्ता महायशाः। 28. वही 1/19/5
-महाभारत 1/104/14, पृ. 576 29. प्रजानां विनयाधानादक्षणाद भरणादपि।स 49. ज्ञाताधमकथाग 1/1/20-21, 55-57 पिता पितरस्तासां केवलं जन्महेतवः।। 50. वही 1/1/87, 96, 1/2/45, 1/8/29
-रघुवंश 1/24. प. 10 51. वही 1/1/88-90 30. ज्ञाताधर्मकथांग 1/1/121-126
52. वही 1/2/19-20 31. वही 1/1/133-135
___53. वही 1/14/15 32. वही 1/5/6
54. वही 1/14/26
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