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________________ ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन मजन महोत्सव ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार यह भी एक उत्सव था, जिसे चातुर्मासिक स्नान (जलक्रीड़ा) का उत्सव कहा जाता था। इस उत्सव पर रूक्मिराजा ने राजमार्ग के मध्य में जल और थल में उत्पन्न होने वाले पांच वर्षों के फूल लाने और श्रीदामकाण्ड (सुशोभित और सुरभित मालाओं का समूह) छत में लटकाने का आदेश अपने कौटुम्बिक पुरुषों को दिया।401 इसी प्रकार से मल्ली के स्नान महोत्सव का संकेत भी मिलता है ।102 कल्याणकरण महोत्सव ज्ञाताधर्मकथांग में प्रसंग आता है कि जब द्रौपदी पांडवों से विवाह कर अपने पिता के घर से विदा होकर पाण्डुराजा के घर पहुंची तब पाण्डुराजा ने हस्तिनापुर में पाँच पाण्डवों और द्रौपदी का कल्याणकरण महोत्सव (मांगलिक क्रिया) का आयोजन किया।103 यह उत्सव संभवतया शादी होने के पश्चात् जब कन्या अपने ससुराल जाती थी तब ससुराल वाले बहु आने की खुशी में करते थे, जिसे आजकल के 'बहुभोज' या 'रिसेप्शन' के समकक्ष कहा जा सकता है। अन्य उत्सव सामाजिक उत्सवों में इन्द्र पूजा, स्कन्द पूजा, रूद्र, शिव, वैश्रवण, नाग, यक्ष, भूत, नदी, तालाब, वृक्ष, चैत्य व पर्वत आदि की पूजा का भी विशिष्ट स्थान रहा है। लोक विश्वास ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न लोक विश्वासों का उल्लेख मिलता है, जिनका विश्लेषण-संश्लेषण अग्रांकित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता हैशुभाशुभ शकुन __ज्ञाताधर्मकथांग में भद्रासार्थवाही ने आर्द्र वस्त्रों से युक्त होकर नाग आदि देवताओं की पूजा अर्चना करने को भी शकुन माना है।105 विशेष शुभ अवसरों पर वीणा06, भेरी07 व शंख आदि की ध्वनि को शुभ शकुन के रूप में माना गया है। 14 महास्वप्नों को भी शुभ शकुन माना गया है तथा स्वप्न दर्शन के बाद जागरण को महत्व दिया गया।09 बारहवीं बार समुद्र यात्रा करने को अशुभ माना गया है।410 148
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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