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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में सामाजिक जीवन विवाहोत्सव सामाजिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित रखने के लिए विवाह अनिवार्य माना जाता है। ज्ञाताधर्मकथांग में विवाहोत्सवों की भव्यता का विवरण एकाधिक स्थानों पर मिलता है। सुहागिन स्त्रियों द्वारा किए गए मंगलगान और दधि-अक्षत आदि मांगलिक पदार्थों के प्रयोग द्वारा मेघकुमार का पाणिग्रहण करवाया गया।390 विवाहोत्सव के अवसर पर अभ्यंतर एवं स्थानीय पुरुषों का विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम और पुष्प, वस्त्र, गंध, माला और अलंकार से सत्कार और सम्मान किया जाता था। राज्याभिषेक उत्सव ज्ञाताधर्मकथांग में मेघकुमार का राज्याभिषेक हर्षोल्लास एवं सर्वसमृद्धि से करने का उल्लेख मिलता है।392 दीक्षा महोत्सव दीक्षा से पूर्व उत्सव आयोजित करने की परम्परा थी और दीक्षा को महोत्सव माना जाता था। मेघकुमार, थावच्चापुत्र और राजपुत्र कण्डरीक35, मल्ली अरहन्त (1/8/185), पाण्डवों का (1/16/219) व दूसरे श्रुतस्कन्ध में लगभग सभी दीक्षा महोत्सव का उल्लेख मिलता है। इन्द्र महोत्सव ज्ञाताधर्मकथांग में इस उत्सव का नामोल्लेख मात्र मिलता है। हरिवंशपुराण में इसे माघ कृष्णा द्वादशी को मनाने का उल्लेख हुआ है। इस उत्सव में इन्द्र के प्रतीक के रूप में इन्द्र ध्वज बनाया जाता था, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते थे। नगर की स्त्रियाँ भी इन्द्रध्वज की पूजा-वंदना के लिए वाहनों से जाती थी।397 कार्तिकेय महोत्सव __ कार्तिक पूर्णमासी के दिन मनाया जाने वाला त्यौहार कार्तिकेय महोत्सव कहलाता है। ज्ञाताधर्मकथांग में इसका नामोल्लेख मात्र ही आया है। इसे कौमुदी पर्व भी कहा जाता है। मदन त्रयोदशी ज्ञाताधर्मकथांग में मदनोत्सव का विशेष वर्णन तो नहीं मिलता लेकिन विजयचोर के प्रसंग में इस उत्सव का नामोल्लेख मिलता है ।400 147
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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