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ज्ञाताधर्मकथांग में सामाजिक जीवन (मैथुन) गृहों, सालवृक्षों के गृहों, जालीवाले गृहों और पुष्पगृहों में क्रीड़ा करने के प्रसंग वनक्रीड़ा के स्वरूप को अभिव्यक्त करते हैं 1358
द्यूतक्रीड़ा
ज्ञाताधर्मकथांग में द्यूतक्रीड़ा में आसक्त रहने वाले विजयचोर 359 और दासचेटक चिलात 360 का उल्लेख मिलता है ।
कन्दुकक्रीड़ा
प्राचीनकाल में कन्दुकक्रीड़ा का विशेष प्रचलन था, जो आज भी कायम है। (फुटबॉल दुनिया का सबसे ज्यादा लोकप्रिय खेल है, सर्वाधिक लोगों द्वारा खेला जाता है) इस क्रीड़ा में छोटे और बड़े दोनों प्रकार के कन्दुक (गेंद) प्रयोग में लाए जाते थे। ज्ञाताधर्मकथांग में आडोलिया (गेंद) और तेंदुसए (बड़ी गेंद, दड़ा) का उल्लेख मिलता है। 361 इसके अलावा बच्चे कौडियों और वर्तक (लाख के गोले ) से भी खेला करते थे । 362 पोट्टिला दारिका सोने की गेंद से खेल रही थी।1363
पर्वतारोहण क्रीड़ा
प्राचीन समय में लोग पर्वतारोहण के प्रेमी होते थे । तीर्थस्थलों का पर्वतों पर होना इस मनोरंजन की महत्ता का परिचायक है । ज्ञाताधर्मकथांग में धारिणी रानी अपनी दोहद पूर्ति के लिए वैभारगिरि की तलहटी में जाती है । वहाँ पर क्रीडांचल बने हुए थे |364
युद्ध क्रीड़ा
ज्ञाताधर्मकथांग में उत्सव महोत्सव के अवसरों पर मल्लयुद्ध, मुष्टियुद्ध आदि क्रीड़ाओं का प्रदर्शन किए जाने का उल्लेख मिलता है । 365 मुष्टियुद्ध की तुलना वर्तमान में प्रचलित 'बॉक्सिंग' से की जा सकती है।
घुड़सवारी
घुड़दौड़ और घुड़सवारी भी मनोरंजन का एक साधन या प्रकार था । ज्ञाताधर्मकथांग में राजा जितशत्रु भटों-सुभटों के साथ घुड़सवारी के लिए निकलता है। 366 राजा कनककेतु कालिक द्वीप के अश्वों को मंगवाकर अश्वमर्दकों के द्वारा प्रशिक्षित एवं विनीत करवाता है। 367
वेश्यागमन
ज्ञाताधर्मकथांग में वेश्या के स्थान पर गणिका शब्द आया है। उस समय
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