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________________ ज्ञाताधर्मकथांग में सामाजिक जीवन जातक कथाओं में भी ऐसे संयुक्त परिवारों का उल्लेख मिलता है जो अपने पारिवारिक सदस्यों के सहयोग और सहायता से चलते थे। मनु ने पारिवारिक विघटन या पृथक्-परिवार को धर्मानुकूल माना है। ___ज्ञाताधर्मकथांग की 'रोहिणी ज्ञात'15, 'माकंदी'', 'द्रौपदी'7 की कथाओं में संयुक्त परिवार का निदर्शन मिलता है। संयुक्त परिवार की विशेषाएँ आपसी सहयोग कर्त्तव्यबोध और विश्वास पर टिकी है संयुक्त परिवार की इमारत। संयुक्त परिवार की कुछ ऐसी विशिष्टताएँ होती हैं जो इसे परिवार के अन्य स्वरूपों से पृथक् करती हैं वृहद् आकार संयुक्त परिवार का आकार सदस्य संख्या के आधार पर वृहद् होता है। सामान्यतः ऐसे परिवारों में तीन-चार पीढ़ियों के रक्त-सम्बन्धी और विवाह-सम्बन्धी एक साथ रहते हैं। ज्ञाताधर्मकथांग में धन्यसार्थवाह का संयुक्त परिवार वृहद् था। सामान्य निवास इसका आशय है कि सारा घर परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए खुला रहे। सामान्य निवास से तात्पर्य ऐसे स्थान से है जो प्रत्येक सदस्य के काम आए। ज्ञाताधर्मकथांग में धन्य सार्थवाह भोजन मंडप (सामान्य आवास) में अपने सभी परिजनों व सम्बन्धियों के सम्मुख अपनी चारों पुत्रवधुओं की परीक्षा लेने के लिए उन्हें चावल के पाँच-पाँच दाने सौंपता है। सम्मिलित सम्पत्ति सम्मिलित सम्पत्ति में किसी एक व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं होता अपितु उस सम्पत्ति पर परिवार के सभी सदस्यों का संयुक्त अधिकार होता है। संयुक्त परिवार में सम्मिलित सम्पत्ति की देखरेख और संचालन परिवार का मुखिया या उसके द्वारा नियुक्त परिवार का योग्य व्यक्ति करता है। ज्ञाताधर्मकथांग में धन्य सार्थवाह अपनी पुत्रवधुओं की योग्यता जाँचकर उन्हें उनके अनुकूल कार्य भार सौंपता है ।२० धार्मिक एवं सामाजिक कर्तव्यों का सामूहिक निर्वाह संयुक्त परिवार के सभी सदस्य धार्मिक व सामाजिक कार्यों को एक 113
SR No.023141
Book TitleGnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShashikala Chhajed
PublisherAgam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
Publication Year2014
Total Pages354
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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