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________________ पहले एकेन्द्रिय शतक के पहले उद्देशक में एकेन्द्रिय के पृथ्वी, अप्, तेजस, वायु और वनस्पति ये पाँच भेद और उनके उपभेद बताते हुए उनके कर्मप्रकृतियों के बन्धन, वेदन और शेष दस उद्देशकों में क्रमशः अनन्तरोपपन्न एकेन्द्रिय, परम्परोपपन्न एकेन्द्रिय, अनन्तरावगाढ़ व परम्परावगाढ़ पंचकाय, अनंतर पर्याप्त पंचकाय, परम्पर पर्याप्त पंचकाय, अनन्तराहारक और परम्पराहारक पंचकाय, चरम और अचरम पंचकाय आदि का सूक्ष्म विवेचन किया गया है । द्वितीय एकेन्द्रिय (अवान्तर ) शतक में कृष्णलेश्यी, नीललेश्यी, कापोतलेश्यी, भवसिद्धिक, कृष्णलेश्यायुक्त भवसिद्धिक एकेन्द्रिय, नीललेश्या, कापोतलेश्या के साथ अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय, कृष्णलेश्यी, नीललेश्यी और कापोतलेश्यी एकेन्द्रिय अभव्य का विवेचन किया गया है । पैंतीस से चालीस शतक- पैंतीस से चालीस तक के छः शतक महायुग्म शतक हैं। इनमें समस्त जीवों की विविधताओं और विशेषताओं का सूक्ष्म विवेचन है । इन शतकों में एकेन्द्रिय से लेकर संज्ञी - पंचेन्द्रिय तक के महायुग्मों की उत्पत्ति, आयु, गति, आगति, परिमाण, अपहार, अवगाहना, कर्मप्रकृतिबन्धकअबन्धक, वेदक-अवेदक, उदयवान्-अनुदयवान्, उदीरक-अनुदीरक, लेश्या, दृष्टि, ज्ञान-अज्ञान, योग, उपयोग, वर्णादि चार, श्वासोच्छ्वास, आहारक - अनाहारक, विरत-अविरत, क्रियायुक्त - क्रियारहित आदि पदों का 16 प्रकार के महायुग्मों की दृष्टि से विश्लेषण किया गया है। इकतालीसवां शतक - इकतालीसवें शतक में 116 उद्देशक हैं । प्रथम उद्देशक में राशियुग्म के 4 भेद हैं । उन भेदों के हेतु, कृतयुग्म राशि प्रमाण 24 दंडकों के जीवों के उपपात, सान्तर - निरन्तर उपपात की पद्धति, हेतु, आत्मा का असंयम आदि का वर्णन करने के बाद सलेश्या और सक्रिय आत्मा, असंयमी और क्रियारहित की सिद्धि प्रभृति विषयों पर विश्लेषण किया है । संदर्भ 1. 'परियम्मं चदं - सूर - जंबूदीव - दीवसायर - वियाहपणत्तिभेएणं पंचविह' कषायपाहुड (भाग -1), पृ. 120-121 समवायांग, सम्पा. मुनि मधुकर, 526-527, पृ. 179 नंदीसूत्र, सम्पा. मुनि मधुकर, सूत्र 87, पृ. 179 तत्त्वार्थराजवार्तिक, 1.20, पृ. 73 कषायपाहुड (भाग-1), पृ. 114 व्या. सू. (भाग-4), मुनि मधुकर, प्रस्तावना, पृ. 19 2. 3. 4. 5. 6. 54 भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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