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मनुष्यों के आचार, भावों व आहार का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसी शतक में 'जीव स्वदेह परिमाण है', इस सिद्धान्त को मान्यता देते हुए हाथी व कुन्थुए में समान जीवत्व (चैतन्य) का निरूपण किया गया है। यह शतक ऐतिहासिक व राजनैतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। महावीरकालीन लड़े गये दो युद्धों महाशिलाकण्टकसंग्राम तथा रथमूसलसंग्राम का वर्णन तथा उस युद्ध से होने वाले नाश का वर्णन भी इस शतक में उपलब्ध है।
नवां शतक- इस शतक में चौतीस उद्देशक हैं। भगवतीसूत्र का नवां शतक भौगोलिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। प्रथम उद्देशक में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति का अतिदेश करके जम्बूद्वीप का स्वरूप, आकार, लम्बाई-चौड़ाई, उसमें स्थिति भरत-ऐरावत आदि क्षेत्र तथा उसमें बहने वाली हजारों छोटी-बड़ी नदियों का संक्षिप्त उल्लेख हुआ है। उद्देशक संख्या तीन से तीसवें तक जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मेरुगिरि के दक्षिण में स्थित एकोरुक अर्न्तद्वीप के स्वरूप आदि का विस्तार से वर्णन हुआ है। बत्तीसवां उद्देशक गणित की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। पार्खापत्य अनगार गांगेय की भगवान् महावीर के साथ चर्चा व अन्त में चातुर्याम धर्म के बदले पंचमहाव्रत रूप धर्म को अंगीकार करने का उल्लेख हुआ है। तेतीसवें उद्देशक में ऋषभदत्त ब्राह्मण और देवानन्दा ब्राह्मणी द्वारा भगवान् महावीर के दर्शन, वन्दन, प्रव्रज्या व मोक्ष प्राप्ति का वर्णन है। इसी शतक में क्षत्रिय राजकुमार जमालि का कथानक भी वर्णित है। जमालि के कथानक में उसके भोगमय जीवन से लेकर वैराग्यधारण करने तक की यात्रा का विस्तार से निरूपण हुआ है। इस उद्देशक में जमालि का भगवान् महावीर से विरोध, जमालि की विराधकता का फल व अन्त में उसके सिद्ध-बुद्ध होने का उल्लेख हुआ है। चौतीसवां उद्देशक जीव-विज्ञान की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। इस उद्देशक में पृथ्वीकायिक आदि स्थावर जीवों में श्वास की प्ररूपणा की गई है।
बारहवां शतक- बारहवें शतक में दस उद्देशक हैं। सर्वप्रथम इस शतक में शंख, पुष्पकली आदि श्रमणोपासकों के सामूहिक पौषध की तैयारी, शंख श्रमणोपासक द्वारा आहार त्याग-पौषध का निर्णय, विविध जागरिका, शंख की मुक्ति आदि का विवेचन किया गया है। यह शतक तत्त्वचर्चा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। जयन्ती श्राविका द्वारा किये गये अनेक प्रश्नों तथा भगवान् महावीर द्वारा अनेकांत शैली में दिये गये उत्तरों का इसमें विवेचन हुआ है। सात नरक पृथ्वियों के नामों का उल्लेख किया गया है। इस शतक में भिन्न-भिन्न मात्रा में परमाणुओं के
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