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________________ 5. भूगोल- लोक, अलोक, भरतादिक्षेत्र, कर्मभूमिक, अकर्मभूमिक क्षेत्र, वहाँ रहने वाले प्राणियों की गति, स्थिति, लेश्या, कर्मबन्ध आदि का वर्णन। 6. खगोल- सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र, तारे, अन्धकार, प्रकाश, तमस्काय, कृष्णराजि आदि का वर्णन। 7. गणितशास्त्र- एकसंयोगी, द्विकसंयोगी, त्रिकसंयोगी, चतु:संयोगी भंग आदि, प्रवेशनक राशि संख्यात, असंख्यात, अनन्त पल्योपम, सागरोपम, कालचक्र आदि। 8. गर्भशास्त्र- गर्भगत जीव के आहार-विहार, नीहार, अंगोपांग, जन्म इत्यादि वर्णन। ___9. चरित्र खण्ड- श्रमण भगवान् महावीर के सम्पर्क में आने वाले अनेक तापसों, परिव्राजकों, श्रावक-श्राविकाओं, श्रमणों, निर्ग्रन्थों, अन्यतीर्थिकों, पार्थापत्यश्रमणों आदि के पूर्व जीवन एवं परिवर्तनोत्तरजीवन का वर्णन। 10. विविध- कौतूहलजनक प्रश्न, राजगृह में गर्म पानी के स्रोत, अश्वध्वनि, देवों की ऊर्ध्व-अधोगमन शक्ति, विविध वैक्रिय शक्ति के रूप, आशीविष, स्वप्न, मेघ, वृष्टि आदि के वर्णन। स्पष्ट है कि यह अंग ग्रंथ सभी प्रकार के ज्ञान-विज्ञान को अपने में समाहित किये हए है। कहीं ज्ञान के कुछ विषयों को प्रश्नोत्तर के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रयत्न किया गया है तो, कहीं कथानकों के माध्यम से उन पर प्रकाश डाला गया है। यद्यपि सम्पूर्ण ग्रंथ की विषयवस्तु का विवेचन यहाँ संभव नहीं है अतः प्रयत्नपूर्वक कतिपय विषयों का विवेचन यहाँ प्रस्तुत है। द्रव्य विवेचन भगवतीसूत्र का मुख्य प्रतिपाद्य जीव-अजीव द्रव्य का विवेचन है। द्रव्य के मुख्य दो भेद- जीव-द्रव्य व अजीव-द्रव्य किये गये हैं। जीव-द्रव्य के स्वरूप का विस्तार से विवेचन हुआ है। चैतन्य को जीव का अभिन्न लक्षण बताया गया है। जीव को नित्य, कर्ता, शाश्वत, भोक्ता, स्वदेह परिमाण माना है। जीव के स्वरूप के साथ-साथ उसके भेद-प्रभेद की भी चर्चा की गई है। जीव के दो प्रमुख भेद सिद्ध व संसारी बताते हुए संसारी जीव के छ: निकाय बताये हैं। पृथ्वीकाय आदि स्थावर जीवों की स्थिति, आहार, श्वास, वेदना आदि का विस्तार से निरूपण हुआ है। अजीव विवेचन में अजीव के दो प्रमुख भेद-रूपी व अरूपी किये हैं। रूपी के चार भेद स्कन्ध, प्रदेश, देश व परमाणु तथा अरूपी के धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, 40 भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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