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________________ 17. 23. 25. 11. व्या. सू. 15.1 12. सूत्रकृतांग, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, सम्पा. मुनि मधुकर, 7.873, पृ. 216 13. सूत्रकृतांग, मुनि मधुकर, 1.4.6, पृ. 92 14. 'धुवे णितिए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे'-व्या. सू. 9.33.101 15. वही, 7.2.1-35 16. स्थानांग, सम्पा. मुनि मधुकर, 1.2, पृ. 3 'जीवे ताव नियमा जीवे, जीवे वि नियमा जीवे।'- व्या. सू. 6.10.2 18. ___ 'जदत्थि णं लोगे तं सव्वं दुपओआरं, तं जहा जीवच्चेव अजीवच्चेव।'- स्थानांग, सम्पा. मुनि मधुकर, 2.1.1, पृ. 24 19. वही, 3.2.140, पृ. 120 व्या. सू., 11.10.3-6 21. 'पंचविह सज्झाए पण्णत्ते, तं जहा वायणा, पुच्छणा, परियट्टणा, अणुप्पेहा, धम्मकहा'-स्थानांग, सम्पा. मुनि मधुकर, 5.3.220, पृ. 525 'वायणा, पडिपुच्छना परियऽणा अणुप्पेहा धम्मकहा'-व्या. सू., 25.7.236 शास्त्री, देवेन्द्र मुनि, जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा, पृ. 104 24. समवायांगसूत्र, सम्पा. मुनि मधुकर 1.7-8, पृ. 5 ___ 'दव्वओ णं एगे लोए सअंते'- व्या. सू. 2.1.24 26. समवायांग, सम्पा. मुनि मधुकर, 31, पृ. 15 वही, 201, पृ.91 व्या. सू. 15.1.21 समवायांगसूत्र, सम्पा. मुनि मधुकर, प्रस्तावना, पृ. 60-86 30. ज्ञाताधर्मकथा, सम्पा. मुनि मधुकर, 1.17-160 31. व्या. सू. 11.11 32. वही, 11.11.44 व्या. सू. 12.2 34. उत्तराध्ययन, अध्याय 1 35. व्या. सू. 25.7.219 उत्तराध्ययन, 2.1-46 व्या. सू. 8.8.23-34 'धम्मो अधम्मो आगासं कालो पुग्गल-जन्तवो। एस लोगो ति पन्नत्तो जिणेहि वरदंसिहिं ।।' उत्तराध्ययन, 28.7 39. पंचत्थिकाया, एस णं एवतिए लोए त्ति पवुच्चइ, तं जहा-धम्मऽत्थिकाए, अधम्मऽत्थिकाए, जाव पोग्गलत्थिकाए।' व्या. सू. 13.4.23 40. उत्तराध्ययन, 4.12 41. व्या. सू. 1.9.18 27. 29. भगवतीसूत्र व अन्य आगम ग्रंथ 25
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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