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________________ 11. 3. जैन, प्रेमसुमन- जैन धर्म और जीवन मूल्य, पृ. 4 4. 'श्राम्यन्तीत श्रमणाः तपस्यन्तीत्यर्थः' - दशवैकालिकवृत्ति, 1.3 सूत्रकृतांग, 'गाहा', अध्ययन 16 6. 'न वि मुण्डिएण समणो......समयाये समणो होइ- उत्तराध्ययन, 25.31, 32 उत्तराध्ययन, 8.2 प्रवचनसार, 3.41 व्या. सू., 1.9.17-18 10. व्या. सू., 1.1.11 मूलाचार, 2.120 12. धवला 9/4,1,67/323/7 13. 'सुत्ता अमुणी मुणिणो सया जागरंति' - आचारांग, मुनि मधुकर, 1.3.1.106, पृ. 85 14. उत्तराध्ययन, 9.40 15. 'निग्गंथे पवयणे अटे, अयं परमटे, सेसे अणटे' - व्या. सू., 2.5.11 16. वही, 14.9.17 17. वही, 9.33.30, 31, 33, 43 18. उत्तराध्ययन, अध्ययन 22 19. स्थानांग, मुनि मधुकर, 10.15, पृ. 694 20. व्या. सू., 9.33.36, 38, 40, 42 21. वही, 2.1.34 22. (क) निशीथभाष्य, 11.3531,32 (ख) निशीथसूत्र, मुनि मधुकर, पृ. 236 23. वही,9.33.44 24. व्या. सू., 5.4.17 25. 'छब्बरिसो पव्वइओ' - व्या. प्रज्ञप्ति टीका, 5.4 26. शास्त्री, देवेन्द्रमुनि- जैन आचार सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 445 27. व्या. सू., 9.33.82, 11.11.57 28. वही, 9.33.16-20 वही, 15.1.21 30. वही, 11.11.55, 57 31. वही, 11.9.11 32. व्या. सू., 9.33.47-82 33. वही, 2.1.35-51 34. वही, 1.9.24 29. श्रमणदीक्षा एवं चर्या 227
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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