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15. वही, 8.5.12 16. वही, 15.1.88 17. वही, 15.1.88 18. व्या. सू., 15.1.90-95 19. वही, 15.1.7 20. वही, 15.1.8
__ व्याख्याप्रज्ञप्ति (भाग-4), मुनि मधुकर, प्रस्तावना, पृ. 76 22. उवासगदसाओ, सम्पा. मुनि मधुकर, 7.181-185
जैन, जगदीश चन्द्र- जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. 415-416 24. (क) औपपातिकसूत्र, मुनि मधुकर, 76 पृ. 129
(ख) सूत्रकृतांग, द्वितीय श्रुतस्कन्ध, आर्द्रकीय अध्ययन 25. व्या. सू., 2.1.12
वही, 11.12.16-24
वही, 14.8.21 28. औपपातिकसूत्र, मुनि मधुकर, 82-88, पृ. 136-141 29. वही, 1.2.19 30. आचारांगचूर्णि, 8, पृ. 265 31. व्या. सू., 2.1.12 32. वही, 2.1.17
वही, 11.12.16 34. औपपातिक, मुनि मधुकर, 82-88, पृ. 136-141 35. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. 412 36. व्या. सू. 11.9.6 37. वही, 11.9.11-15 38. वही, 11.9.17 39. व्या. सू., 1.2.19
वही, 1.2.19 व्या. सू.,7.10.2 'चत्तारि समोसरणा पन्नत्ता, तं जहा किरियावादी अकिरियावादी, अन्नाणियवादी वेणइयवादी'
- वही, 30.1.1 43. व्या. सू., 3.1.38 44. वही, 3.2.19-20 45. वही, 15.1.49
33.
40.
महावीरेतर दार्शनिक परम्पराएँ
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