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________________ विशेषदृष्ट- अनेक वस्तुओं में से किसी एक वस्तु को पृथक् करके उसका ज्ञान करना विशेषदृष्ट अनुमान है। जैसे अनेक पुरुषों में खड़े हुए एक पूर्वदृष्ट पुरुष को पहचानना कि यह वह पुरुष है। --- काल की दृष्टि से अनुमानग्रहण तीन प्रकार का है। __ अतीतकालग्रहण- तृणयुक्तवन, निष्पन्नशस्यापृथ्वी, जलपूर्ण-कुंड-सरनदी-तालाब देखकर अच्छी वर्षा का अनुमान। प्रत्युत्पन्नकालग्रहण- भिक्षाचर्या में प्रचुर भिक्षा मिलती देख सुभिक्ष का अनुमान करना। अनागतकालग्रहण- मेघ की निर्मलता, काले पहाड़, मेघ गर्जन आदि देखकर अच्छी वृष्टि का अनुमान करना। इन तीनों लक्षणों की विपरीत प्रतीति से विपरीत अनुमान किया जा सकता है। जैसे सूखे चनों आदि को देखकर कुवृष्टि का, भिक्षा प्राप्त न होने पर दुर्भिक्ष का तथा खाली बादल देखकर वर्षा न होने का अनुमान करना। अनुमान के अवयव __ अनुमान के अवयवों के संबंध में मूल आगमों में चर्चा प्राप्त नहीं होती है। किन्तु, आचार्य भद्रबाहु ने दशवैकालिकनियुक्ति में इसकी चर्चा की है। उनके मत के अनुसार अनुमान वाक्य के दो, तीन, पाँच या दस अवयव होते हैं। वे इस प्रकार हैं दो अवयव - प्रतिज्ञा, उदाहरण । तीव अवयव - प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण पाँच अवयव - प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टान्त, उपसंहार, निगमन दस अवयव (क) - प्रतिज्ञा, प्रतिज्ञाविशुद्धि, हेतु, हेतुविशुद्धि, दृष्टान्त, दृष्टान्तविशुद्धि, उपसंहार, उपसंहारविशुद्धि, निगमन, निगमनविशुद्धि दस अवयव (ख) - प्रतिज्ञा, प्रतिज्ञाविभक्ति, हेतु, हेतुविभक्ति, विपक्ष, विपक्ष-प्रतिषेध, दृष्टान्त, आशंका, आशंकाप्रतिषेध, निगमन। उपमान उपमान प्रमाण दो प्रकार का है; 1. साधोपनीत, 2. वैधोपनीत। साधोपनीत जिन पदार्थों की सदृश्यता उपमा द्वारा सिद्ध की जाय, उसे साधोपनीत कहते हैं। इसके तीन भेद हैं; 170 भगवतीसूत्र का दार्शनिक परिशीलन
SR No.023140
Book TitleBhagwati Sutra Ka Darshanik Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTara Daga
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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