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________________ भगवन्! माता-पिता के अंग सन्तान के शरीर में कितने काल तक बने रहते हैं? उत्तर-गौतम! सन्तान का शरीर जब तक कायम रहता है, वहां तक माता-पिता के वे अंग कायम रहते हैं। समय-समय-वे पुद्गल छीजते हुए माता-पिता का यह ओज समाप्त हो जाता है तभी मनुष्य भी कायम नहीं रहता, मर जाता है। अतः सन्तान को माता-पिता के प्रति सदा वफादार रहना चाहिए। मूलपाठप्रश्न-जीवे णं भंते! गब्मगए समाणे नेरइएसु उववज्जेज्जा? उत्तर-गोयमा! अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा। प्रश्न- से केणद्वेणं? उत्तर-गोयमा! से णं सण्णी पंचिदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वीरिय लद्धीए, वेउव्विय लद्धीए पराणीएणं आगयं सोच्चा निसम्म पएसे निच्छुभइ, निच्छुभित्ता वेउव्विय समुग्धाएणं समोहणइ, समोहणित्ता चाउरंगिणिं सेण्णं विउव्वइ, चाउरंगिणिं सेण्णं विउव्वित्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएणं सद्धिं संगामं संगामेइ। से णं जीवे अत्थकामए, रज्जकामए, भोगकामए कामकामए, अत्थकंखिए, रज्जकंखिए, भोगकंखिए, कामकंखिए, अत्थ पिवासए, रज्ज पिवासए, भोग पिवासए, काम पिवासए तच्चित्ते, तम्मणे तल्लेसे, तदज्झवसिए, तत्तिव्वज्झवसाये, तदट्ठोवउत्ते, तदप्पिय करणे, तब्मावणा भाविए, एंयसि णं अंतरंसि कालं करेज्ज नेरइएसु उववज्जइ। से तेणटेणं गोयमा ! जाव अत्थेगईए उववज्जेजा, अत्थेगईए नो उववज्जेज्जा। प्रश्न-जीवे णं भंते! गमगए समाणे देवलोगेसु उववज्जेज्जा। उत्तर-गोयमा! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा। प्रश्न-से केणटेणं? उत्तर-गोयमा! से णं सण्णी पंचिंदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए तहारूवस्स समणस्स वा, माहणस्स वा, अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा, निसम्म तओ भवइ संवेग जाय सड्ढे, तिव्व थम्माणुराग रत्ते, से णं जीवे धम्म कामए, पुण्णकामए, सग्ग कामए, मोक्ख कामए, धम्म कंखिए, पुण्णकंखिए, सग्ग कंखिए, २२२ श्री जवाहर किरणावली
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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