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________________ रसहरणी का अर्थ है, नाभि का नाल। इस नाल द्वारा माता के जीव का रस ग्रहण किया जाता है। इस नाल का संबंध माता के शरीर के साथ होता है। इससे पुत्र को रस प्राप्त होता है। इसके सिवाय एक नाड़ी (नाल) और भी है जो पुत्र के जीव के साथ संबंध है और माता के जीव के साथ अटकी हुई है। इस नाल द्वारा पुत्र का जीव आहार का चय और उपचय करता है। इसी कारण उसके कवलाहार नहीं होता। मूलपाठप्रश्न- कइ णं भंते! माइअंगा पण्णत्ता? उत्तर-गोयमा! तओ माइअंगा पण्णता। तंजहा-मंसे, सोणिए, मत्थुलुंगे। प्रश्न- कइ णं भंते! पिइअंगा पण्णता? उत्तर-गोयमा! तओ पिइअंगा पण्णता। तंजहा–अटैि अद्विमिंजा, केस-मंसु-रोम-नहे। प्रश्न-अम्मा पिइए णं भंते! सरीरए केवइयं कालं संचिट्ठइ? उत्तर-गोयमा! जवाइयं से कालं भव धारणिज्जे सरीरए अव्वावण्णे भवइ एवतियं कालं संचिट्ठइ। अहे णं समए-समए वोयसिज्जमाणे, वोयसिज्जमाणे चरमकाल समयंसि वोच्छिण्णे भवइ। संस्कृत-छाया प्रश्न-कति भगवन्! मात्रंगानि प्रज्ञप्तानि? उत्तर-गौतम! त्रीणि मात्रंगानि प्रज्ञप्तानि । तद्यथा-मांसम् शोणितम् मस्तुलुंगम्। प्रश्न-कति भगवन्! पित्रंगानि प्रज्ञप्तानि? उत्तर-गौतम! त्रीणि पित्रंगानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-अस्थि, अस्थिमज्जा, केश-श्मश्रु-रोम नखः । प्रश्न-अम्बापैतृकं भगवन्! शरीरं कियन्तं कालं संतिष्ठते? उत्तर-गौतम! यावन्तं कालं तस्य भवधारणीयं शरीरम् अव्यापन्नं भवति एतावन्तं कालं संतिष्ठते। अथ समये समये व्यवकृष्टामाणं-व्यवष्टामाणं चरमकालसमये व्युच्छिन्नं भवति। मूलार्थ प्रश्न-भगवन! माता के अंग कितने कहे हैं? उत्तर-हे गौतम! माता के तीन अंग कहे हैं। वे इस प्रकार मांस, रक्त और मस्तक का भेजा। २२० श्री जवाहर किरणावली ॐ
SR No.023135
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size19 MB
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