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भगवान् और आर्य रोह
मूलपाठ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी रोहे णामं अणगारे पगइभद्दए, पगइमउए, पगइविणीए, पगइउवसंते, पगइपतणु कोह-माण- माया-लोहे, मिउमद्दवसंपण्णे, अल्लीणे, भद्दए, विणीए, समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरमासंते, उड्ढंजाणू, अहोसिरे, झाण कोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तएणं से रोहे अणगारे जायसड्ढे जाव पज्जु वासमाणे एवं वसायी:
प्रश्न-पुस्विं भंते! लोए? पच्छा अलोए? पुब्बिं अलोए, पच्छा
लोए?
उत्तर-रोहा! लोए य अलोए य, पुट्विं पेते, पच्छा पेते, दो वि ए सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा!
प्रश्न-पुट्विं भंते! जीवा? पच्छा अजीवा? पुब्बिं अजीवा, पच्छा जीवा?
उत्तर-जहेव लोए, य अलोए, य; तहेव जीवा य अजीवा य। एवं भवसिद्धिआ य अमवसिद्धिआ य, सिद्धि, असिद्धि य सिद्धा असिद्धा।
प्रश्न-पुब्बिं मंते! अंडए? पच्छा कुक्कुडी? पुव्विं कुक्कुडी पच्छा अंडए?
'रोहा! से णं अंडओ कओ?' 'भयवं! तं कुक्कुडीओ!' 'साणं कुक्कुंडी कओ?' 'भंते! अंडयाओ!'
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- भगवती सत्र व्याख्यान १३३
पास माजाला