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________________ सेनापति-ऐसा होना संभव प्रतीत नहीं होता, फिर भी अगर कोई दस हजार आदमियों को जीत ले तो वह अवश्य वीर कहलायेगा। साधु बोले-ठीक है, लेकिन कोई दूसरा आदमी दस हजार आदमियों को जीतने वाले को भी जीत ले तो उसे आप क्यो कहेंगे? सेनापति- उसे महावीर कहना होगा। साधु-देखो, संसार में बड़े-बड़े शस्त्रधारी थे। उदाहरण के लिए रावण को ही समझ लीजिए। रावण प्रचण्ड वीर था। उसने लाखों पर विजय प्राप्त की थी। मगर जिस काम ने उसे भी जीत लिया वह काम वीर कहलाया कि नहीं? रावण ने हजारों-लाखों योद्धाओं को पराजित कर दिया, मगर सीता की आखों को वह न जीत सका। अतएव काम ने उसे पराजित करके नचा डाला। जिसके प्रबल प्रताप के आगे बड़े-बड़े शूरवीर भी अभिभूत हो जाते थे, वह लाखों को जीतने वाला रावण अबला कहलाने वाली सीता के आगे हाथ जोड़ने लगा और उसके पैरों में पड़ने लगा। मगर सीता ने उसे ठुकरा दिया। प्रश्न उपस्थित होता है-वीर कौन था? रावण या काम? सेनापति-काम। काम को जीतना बहुत कठिन है। साधु-काम लाखों को जीतने वाला वीर है। मगर जो सत्यशाली पुरुष वीर काम को भी जीत लेता है उसे क्या कहना चाहिए? काम-विजय का ढ़ोंग करने की बात दूसरी है, मगर सचमुच ही जो काम को पराजित कर देते हैं उन्हें क्या कहेंगे? ऐसे महान् पराक्रमी पुरुष को 'महावीर' कहा जाता है। साधु अकेले काम को ही नहीं जीतते, किन्तु क्रोध, मोह, मत्सरता आदि को भी जीतते हैं। क्रोध के वश होकर अगर कोई पुरुष साधु को गाली देता है, तब भी सच्चा साधु क्रुद्ध नहीं होता। क्या इस प्रकार काम और क्रोध को जीतना साधारण बात है? साधु का यह कथन सेनापति ने सहर्ष स्वीकार किया। सेनापति बोला- काम, क्रोध, मात्सर्य आदि सबको जीतने वाला तो वीर है ही, लेकिन इनमें से एक को जीतने वाला भी वीर है। आदिकरएक तो काम, क्रोध आदि आन्तरिक शत्रुओं को जीतने के कारण भगवान् को महावीर कहा है, दूसरे 'आदिकर' अर्थात् आदि करने वाले होने १२ श्री जवाहर किरणावली,
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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