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________________ युक्तियाँ प्रत्येक प्रश्न के संबंध में लागू होती हैं। उनका संबंध सब के साथ जोड़ लेना चाहिए। गौतम स्वामी का पाँचवा प्रश्न है: छिज्जमाणे छिन्ने? अर्थात- जो छेदा जा रहा है वह छिदा ऐसा कहा जा सकता है? छिज्जमाणे का अर्थ है वर्तमान काल में जिसका छेदन किया जा रहा है। कर्म की दीर्घ काल की स्थिति को अल्पकाल की स्थिति में कर लेना छेदन करना कहलाता है। यद्यपि कर्म वही है लेकिन उसकी स्थिति को कम कर लेना छेदन है। उदाहरणार्थ- एक मनुष्य बारह वर्ष के लिए जेल गया। लेकिन राजा के यहाँ पुत्र जन्म होने से या कोई अच्छा काम करने से कैद की मियाद घटा भी दी जाती है। इसी प्रकार कर्म की स्थिति बहुत है, लेकिन अपवर्तना नामक करण द्वारा कर्म की स्थिति को कम कर लेना उसका छेदन करना कहलाता है। उपकरण, उपाय या साधन को करण कहते हैं। अनुयोगद्वार सूत्र में करण के दो भेद बतलाए गये हैं। पहला भेद है उपकर्म अर्थात वस्तु को ज्यादा बना लेना। दूसरा भेद वस्तु-विनाश है यानि बहुत दिन टिकने वाली चीज को बिगाड़ देना या कम कर देना। तात्पर्य यह है कि जिस करण के द्वारा बहुत दिन टिकने वाली वस्तु बिगाड़ दी जाती है-कम कर दी जाती है, वह वस्तुविनाशकरण है और जिसके द्वारा वस्तु ज्यादा बनाई जाती है वह उपकर्म करण कहलाता है। करण के प्रकारान्तर से दो भेद हैं-(1) उद्वर्त्तनाकरण और (2) अपवर्तनाकरण। इनमें से अपवर्तनाकरण के द्वारा कर्म की स्थिति कम की जाती है। इस करण द्वारा स्थिति का कम हो जाना ही कर्म का छेदन करना कहलाता है। अपवर्तना करण द्वारा होने वाली कर्म छेदन की इस क्रिया में भी अंसख्यात समय लगते हैं, मगर जो छीज रहे हैं, उन्हें छीजे कहना चाहिए। अर्थात छिद्यमान को छिन्न कहना चाहिए। . गौतम स्वामी का छठा प्रश्न है: भिज्जमाणे भिण्णे? अर्थात- जो भेदा जा रहा है वह भेदा गया ऐसा कहना चाहिए? शुभ कर्म को अशुभ रूप में और अशुभ को शुभ रूप में परिणत करना कर्म का भेदन करना कहलाता है। जैसे कच्चा आम स्वाद में खट्टा होता है - श्री भगवती सूत्र व्याख्यान २०१ 8333333338
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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