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संसर्ग, उपकार, गुणिदेश, शब्द और अर्थ रूप मनोहर प्रवचन - रचना जयकुंजर के तंग के समान है अथवा काल आदि आठ सूत्र के आचार इसके तंग हैं । सामान्य विधि को उत्सर्ग कहते हैं और विशेष विधि को अपवाद कहते हैं । उदाहरणार्थ-साधु को सचित्त जल का स्पर्श करना चाहिए, यह उत्सर्ग विधि है, मगर कारण उपस्थित होने पर नदी पार करने का विधान अपवाद है। इस प्रकार उत्सर्ग और अपवाद रूपी दो घंटा इस सूत्र रूपी हस्ती के विद्यमान हैं जिन्होंने दिक्-दिगंत को गुंजा रक्खा है ।
जयकुंजर के आगे-आगे विविध प्रकार के वाद्य बजते हैं, इसी प्रकार सूत्ररूपी हस्ती के आगे यश का नक्कारा बजता है । यश रूपी नक्कारे की ध्वनि सारे संसार में फैल रही है ।
हाथी पर अंकुश रहता है जिसके कारण वह वश में बना रहता है । अंकुश के अभाव में हाथी का वशीभूत होना कठिन है। इस सूत्र रूपी हस्ती को वश करने के लिए अंकुश क्या है? इसका उत्तर आचार्य ने दिया हैस्याद्वाद रूपी अंकुश के द्वारा यह शास्त्र वशीभूत होता है। जिस हाथी पर अंकुश नहीं होता वह बिगड़ने पर अपने पक्ष को हानि पहुंचाने लगता है, इसी प्रकार जिस शास्त्र पर स्याद्वाद का अंकुश नहीं, वह भी अपने ही पक्ष का घात करने लगता है । प्रकृत शास्त्र ऐसा नहीं है। यह स्याद्वाद से अनुगम है । अतः कुंजर के समान स्याद्वाद रूपी अंकुश से युक्त है।
हाथी जब चलता है तो उसके आगे पीछे या अगल-बगल में बछे वाले भाले वाले या तीरंदाज चलते हैं, जिससे हाथी किसी को हानि न पहुंचाने पावे इसी प्रकार इस सूत्र के पक्ष में अनेक हेतु चलते हैं । वे हेतु इससे किसी की हानि नहीं होने दें ।
जयकुंजर राजाओं के पास होता है और राजा लोग संग्राम में विजय प्राप्त करने के लिए उसे नियुक्त करते हैं। जैसे कोणिक राजा का उदायन हाथी और इन्द्र का ऐरावत हाथी है। तो इस सूत्र रूपी हस्ती को नियुक्त करने वाला कौन है? इसका उत्तर यह दिया गया है कि भगवती सूत्र रूपी जयकुंजर के नायक या नियोक्ता महावीर भगवान् हैं। उन्होंने मिथ्यात्व, अज्ञान और अविरति रूपी शत्रुओं की सेना का दमन करने के लिए इसकी नियुक्ति की है।
राजाओं के हस्ती पर योद्धा रहते हैं तो भगवान् महावीर के इस जयकुंजर पर योद्धा कौन है? राजाओं के हस्ती को योद्धा सुशोभित करते हैं तो इसे कौन सुशोभित करता है? इसका उत्तर यह है कि कल्पगण का
श्री जवाहर किरणावली
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