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________________ जल में भी विष मिलाया और आसन आदि पर भी विष का छिड़काव किया। इस प्रकार विष ही विष फैलाकर रानी ने राजा को भोजन करने के लिए बैठाया और राजा के सन्मुख विषमिश्रित भोजन-पानी रख दिया। रानी पति-भक्ति का दिखावा करने के लिए खड़ी होकर पंखा झलने लगी। ज्यों ही राजा ने भोजन आरंभ किया उसे मालूम हो गया कि भोजन में विष का मिश्रण किया गया है वह चुपचाप उठ कर पौषधशाला में आ गया। राजा किस प्रकार अपने कर्मों की उदीरणा करता है, यह ध्यान देने की बात है। इसे ध्यान से सुनिये और विचार कीजिए। पौषधशाला में आकर राजा विचारने लगा-रानी ने मुझे जहर नहीं दिया है। मैंने रानी के साथ जो विषयभोग किया है, यह जहर उसी के प्रताप से आया है। यद्यपि प्रदेशी राजा चढ़े हुए जहर को उतार सकता था और रानी को दंड भी दे सकता था, लेकिन जिन्हें कर्म की उदीरणा करनी होती है, वे दूसरे की बुराइयों का हिसाब नहीं लगाते। राजा प्रदेशी सोचने लगा-हे आत्मन्! यह विष तुझे नहीं मिला है; किन्तु तेरे कर्म को मिला है। तूने जो प्रगाढ कर्म बांधे हैं उन्हें नष्ट करने के लिए इस जहर की जरूरत थी। मैंने जीव और शरीर को अलग-अलग समझ लिया है। यह स्पष्ट हो रहा है कि यह जहर आत्मा पर नहीं शरीर पर अपना असर कर रहा है। आत्मा तो वह है कि नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो, न शोषयति मारुतः।।2/23 अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः।।गीता-2/24 अर्थात- आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते, अग्नि जला नहीं सकती। आत्मा छिदने योग्य नहीं है, सड़ने-गलने योग्य नहीं हैं सूखने योग्य नहीं है। वह नित्य है, प्रत्येक शरीर में रहता है, स्थायी है, अचल है और सनातन है। राजा प्रदेशी सोचता है- हे आत्मा! यह विष तुझे मार नहीं सकता, यह तेरे कर्मों को ही काट रहा है। इसलिए चिन्ता न कर। तू बैठा-बैठा तमाशा देख। __मित्रों! इसका नाम प्रशस्त परिणाम है। इसी से कर्मों की उदीरणा होती है। ऐसा परिणाम उदित होने पर कर्मों की ऐसी दशा होती है जैसे उन्हें जहर ही दे दिया गया हो। १EE श्री जवाहर किरणावली 8 99999999999999999999988888888888888
SR No.023134
Book TitleBhagwati Sutra Vyakhyan Part 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJawaharlal Aacharya
PublisherJawahar Vidyapith
Publication Year2006
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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