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________________ उदा. हस् + ईअ कर् + ईअ 1. व्यंजनान्त धातु = सर्वपुरुष सर्ववचन - ईअ ((३/१६३,१६२) - 2. स्वरान्त धातु = सर्वपुरुष सर्ववचन * सी, ही, हीअ 3. आर्ष प्राकृत में धातु के अंग को = सर्वपुरुष और सर्ववचन में त्था, सुप्रत्यय लगते हैं । ये प्रत्यय जोड़ते समय, पहले अ हो तो उसका 'इ' होता है । (४/२१४) त्थ और पाठ 1. व्यंजनांत धातुओं को सर्वपुरुष और सर्ववचन में ईअ प्रत्यय लगाया जाता है । = - हसीअ • = - ने + ही = नेही ने + हीअ = नेहीअ 14 भूतकाल प्रत्यय करीअ वंद् + ईअ = वंदीअ 2. स्वरान्त धातुओं को सर्वपुरुष और सर्ववचन में सी, ही और हीअ प्रत्यय लगाया जाता है तथा प्रत्ययों के पूर्व विकल्प से अ लगता है । उदा. ने + सी = नेसी. विकल्पपक्षे नेअ + सी = नेअसी अ + ही = अही नेअ + हीअ = नेअहीअ - पड् + ईअ = पडीअ बोह् + ईअ = बोहीअ हो + सी = होसी, हो + ही = होही, हो + हीअ = होहीअ 3. व्यञ्जनान्त धातुओं को ए प्रत्यय लगाकर सी, ही आदि का प्रयोग प्राकृत साहित्य में दिखाई देता है । उदा. सुण् + ए + सी = सुणेसी । किं इदाणिं - रोदसि मम तदा न सुणेंसी ( वासुदेव. पृ. २९-११) , 4. प्राकृत में कृ धातु का 'का' बनता है । उदा. सर्वपुरुष - सर्ववचन कासी, काही, काहीअ. प्राकृत में ह्यस्तन भूतकाल, परोक्ष भूतकाल अथवा अद्यतन भूतकाल के स्थान पर सामान्यतः भूतकाल के ही प्रत्यय लगाये जाते हैं । * इस प्रत्यय का स्वर कुछ स्थानों में ह्रस्व भी होता है । ७६
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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