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________________ 8. भुंज (भुअ) खाना, भोजन करना. | विज्ज (विद्य) होना. उवमुंज (उप + भुअ) उपभोग करना, उवसम् (उप + शम्) शान्त होना. मज्ज् । (माद्य) मद करना. .. |परिचय । (परि + त्यज) त्याग करना. मच्च् । परिच्चय हिन्दी में अनुवाद करें 1. हे खमासमण ! हं मत्थएण वंदामि । 2. सव्वेसु धम्मेसु जत्थ पाणाइवाओं न विज्जइ, सो धम्मो सोहणो होइ । 3. जक्खो समणाणं साहज्जं कुणेइ । 4. वुद्धृत्तणे वि मूढाणं नराणं विसया न उवसमन्ते । पच्चूसे सो उज्जाणं जाइ, तत्थ थिआइं पुप्फाइं जिणिंदाणमच्चणाय घरं आणेइ । समणा चेइएसु निच्चं वच्चिरे, देवे य वंदंति । 7. देवा वि तं नमसंति, जस्स धम्मे सया मणो । मिच्छा तं पुत्ताणं कुज्झसि । जो धणस्स मएण मज्जइ, सो भवमडइ । 9. पावाणं कम्माणं खयाए ठामि काउसग्गं । 10. मज्जम्मि मंसम्मि य पसत्ता मणुसा निरयं वच्चन्ति | 11. नक्खत्ताणं मिअंको जोअइ । 12. परोवयारो पुण्णाय, पावाय अन्नस्स पीलणं, इअ नाणं जस्स हिए सो धम्मिओ + त्ति । 13. मूढो हं, तत्तो कत्थ गच्छामि, कहिं चिट्ठामि, कस्स कहेमि, कस्स रूसेमि । 14. जीवा पावेहिं कज्जेहिं निरयंसि उववज्जिरे । 15. चंदेसु • निम्मलयरा आइच्चेसु अ अहियं पयासयरा तित्थयरा हुंति । 16. खमासमणा सव्वया नाणम्मि तवंसि झाणे य उज्जया संति । + वाक्य के प्रारंभ में इति के बदले इअ रखा जाता है । जैसे कि-'इअ नाणं जस्स हियए', किसी स्थान में इइ भी आता है, पदान्त में स्वर के बाद इति के बदले त्ति रखा जाता है, लेकिन पदान्त में स्वर न हो तो 'ति' रखा जाता है। (१/ ४२,९१) उदा. तहत्ति (तथेति) जुत्तंति (युक्तमिति) पिओत्ति (प्रियइति) किंति (किमिति) - पंचमी विभक्ति के बदले कुछ स्थानों में सप्तमी विभक्ति भी रखी जाती है। उदा. अंतेउरे रमिउं आगओ राया (अन्तःपुराद् रन्त्वाऽऽगतोः राजा) - D
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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