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________________ नपुंसकलिंग ओसढ (औषध) औषध, दवा. दुरिय (दुरित) पाप. कज्ज (कार्य) काम, कार्य. - |पंकअ (पङ्कज) कमल. कट्ठ (काष्ठ) लकड़ी. पाव (पाप) पाप. गयण (गगन) आकाश. पुण्ण (पुण्य) पुण्य, धर्म, पवित्र. तत्त (तत्त्व) रहस्य, परमार्थ. पुष्फ (पुष्प) फूल. तलाय (तडाग) तालाब, जलाशय. |वक्क (वाक्य) वाक्य. तित्थ । (तीर्थ) तीर्थ, पवित्र स्थान. रज्ज (राज्य) राज्य. सत्थ (शास्त्र) आगम. थोत्त (स्तोत्र) स्तोत्र. |सत्थ (शस्त्र) शस्त्र. दुक्ख । (दुःख) दुःख. सील (शील) शील , उत्तम आचरण. दुह । विशेषण अप्पकेर (आत्मीय) अपना. | सहल । (सफल) सफल, फलवान. अणेग (अनेक) एक से ज्यादा. समल एग - एअ । (एक) एक. फरुष (परुष) कठिन, कर्कश. एक - एक्क) रहिअ (रहित) रहित, वर्जित. परम (सम) उत्कृष्ट, श्रेष्ठ 9. विशेषण को विशेष्य के ही जाति, वचन और विभक्ति लगते हैं। अव्यय अपि - अवि (अपि) लेकिन, भी. विणा (विना) सिवाय , रहित , छोड़कर. अहि (अभि) ओर, पास में. . सव्वत्थ) (सर्वत्र) सब जगह. कया (कदा) कब. णाई । (न) नहीं. सबह . अण) सह (सम) सहित. पइ (प्रति) तरफ, पास में. सद्धिं (सार्द्धम्) सहित. 10. अपि या अवि अव्यय किसी भी पद के पश्चात् हो तो उसके प्रारंभ के अ का विकल्प से लोप होता है । (१/४१) उदा. तं अपि - तंपि (तदपि). | केणवि । केनापि. किं अपि - किंपि (किमपि) | केण अवि J सवहिड - ४०
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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