SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 8. निषेध बताने हेतु व्यंजनादि शब्द के आरंभ में अ और स्वरादि शब्द के आरंभ में अण रखा जाता है । उदा. न लोगो = अलोगो (अलोकः), न आयारो = अणायारो (अनाचारः) न सच्चं = असच्चं (असत्यम्) न एगो = अणेगो (अनेकः) शब्दार्थ (पुंलिंग) अवमाण (अपमान) अपमान, तिरस्कार. मुहर (मुखर) वाचाल. अलोग (अलोक) अलोक, निर्जन. मुक्ख । (मोक्ष) मोक्ष . आयार (आचार) आचार. | मोक्ख उज्जम (उद्यम) उद्यम, मेहनत. | मेह (मेघ) बादल. उवएस (उपदेश) उपदेश. रोस (रोष) क्रोध. कुढार (कुठार) कुल्हाड़ा लोग (लोक) लोक. कोह (क्रोध) क्रोध, गुस्सा. वह (वध) वध. चंद (चन्द्र) चन्द्र. |वम्मह (मन्मथ) कामदेव. जिणेसर । (जिनेश्वर) जिनेश्वर. | वाह (व्याध) शिकारी. जिणीसर । विणय (विनय) विनय, विवेक जम्म (जन्मन्) जन्म. वीयराग (वीतराग) रागरहित. देह पुं. नपुं. (देह) शरीर, देह वीर (सम) वीर, पराक्रमी. धम्म (धर्म) धर्म, फर्ज. संघ (सङ्घ) संघ, समुदाय, नाय (न्याय) न्याय, नीति. श्रमणादि चतुर्विध संघ. नरिंद । (नरेन्द्र) राजा. सज्जण (सज्जन) अच्छा व्यक्ति. नरिन्द सढ (शठ), कपटी. निरय । (नरक) नारकी, नरक . सयायार (सदाचार) उत्तम आचार, नरय । पवित्र आचरण. बहिर (बधिर) सहाव (स्वभाव) स्वभाव, प्रकृति. बंभण (ब्राह्मण) ब्राह्मण. सर (शर) बाण. भाव (भाव) भाव. सग्ग (स्वर्ग) देवलोक, स्वर्ग. मणोरह (मनोरथ) मनोरथ. सावग (श्रावक) श्रावक. महिवाल (महिपाल) राजा. | सिद्ध (सिद्ध) सिद्ध भगवान, सिद्ध मिग । (मृग) हरिण. . मअ हत्थ (हस्त) हाथ. पुरुष. B 28 ३९
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy