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________________ पाठ - 8 अकारान्त नाम तइया और चउत्थी विभक्ति प्रत्यय (१/६,७,१३१, १३२) पुंलिंग एकवचन | बहुवचन तइया . ण, णं हि, हिँ , हिं चउत्थी । “य, (आए) . नपुंसकलिंग :- अकारान्त नपुंसक नामों के रूप प्रथम दो विभक्ति को छोड़कर शेष सभी विभक्तियों में अकारान्त पुंलिंग नामों के समान ही होते हैं । 1. तृतीया एकवचन और बहुवचन तथा सप्तमी बहवचन के प्रत्यय लगाने पर पहले के अ का ए होता है । (३/१४, १५) उदा. जिण + ण = जिणेण, जिणेणं. जिण + हि = जिणेहि, जिणेहिँ , जिणेहिं. 2. चतुर्थी एकवचन का य प्रत्यय लगाने पर पूर्व अ दीर्घ होता है । उदा. जिण + य = जिणाय. जिण (जिन) पुंलिंग । एकवचन बहुवचन तइया . | जिणेण, जिणेणं | जिणेहि, जिणेहिं , जिणेहिं. चउत्थी . | जिणाय, जिणाए • चतुर्थी एकवचन में य प्रत्यय तादर्थ्य (उसके लिए.) अर्थ में विकल्प से लगता है । उस अर्थ को छोड़ एकवचन और बहुवचन में षष्ठी विभक्ति के प्रत्यय लगाये जाते हैं । [प्राकृत में चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति होती है । ] नाण (ज्ञान) नपुंसकलिंग एकवचन बहुवचन तइया नाणेणं, नाणेण, नाणेहि, नाणेहिँ, नाणेहिं, नाणाय, नाणाए - ३७ = = चउत्थी ३७
SR No.023125
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykastursuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages326
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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