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गिहासत्त वि. (गृहासक्त) घर में चउगइभवे (चतुर्गति भवे) चार आसक्त
गतिरूप संसार में गीयत्थ-ट्ठ पुं. (गीतार्थ) विद्वान जैन साधु चंपअ. पुं (चम्पक) चंपक फूल का वृक्ष गुंजिअ वि. (गुञ्जित) गुनगुन आवाज चंद-चंद्र पुं. (चन्द्र) चन्द्र गुण पुं. (गुण) गुण
चंदण नपुं (चन्दन) चन्दन गुणट्ठाण नपुं. (गुणस्थान) गुणों का चक्खु पुं. नपुं (चक्षुष) आँख, नेत्र, स्वरूप विशेष । मिथ्यादृष्टि आदि 14 चक्षु . गुणस्थान
चक्कवट्टि पुं. (चक्रवर्तिन्) चक्रवर्ती गुणि वि. (गुणिन्) गुणवाला छह खंड का अधिपति गुरु पुं. (गुरु) गुरु, पूज्य । चक्कवाय पुं. (चक्रवाक) चक्रवाक पक्षी गुरुअ-गरुअ वि. (गुरुक) भारी, बोझिल चच्चर नपुं. (चत्वर) चौंटा , बाजार गुरुया स्त्री. (गुरुता) बड़प्पन चत्तारि प्र.द्वि.ब. (चत्वारि) चार गेह नपुं. (गेह) घर
चरम-चरिम वि. (चरम) गोणो (गौ :) बैल
__अन्तिम, पर्यन्तवर्ती, अन्त का गोयम पं. (गौतम) भगवान महावीर चरण नपं. (चरण) चारित्र के आद्य गणधर.
चरणधण नपुं. (चरणधन) चारित्र गोवाल पुं (गोपाल) अहीर, गौ संयम, व्रत, नियम, चारित्ररूपी धन. पालनेवाला, ग्वाला
चरित्त नपुं. (चरित्र) चरित्र, गोविसाण नपुं. (गोविषाण) गाय का आचरण, स्वभाव, प्रकृति. सींग
चरित्त-चारित नपुं. (चारित्र) संयम,
व्रत, विरति, सद्वृत्ति घड पुं. (घट) घड़ा, कुम्भ, कलश...
चलण पुं. (चरण) पाँव, पैर, पाद घण पुं. (घन) मेघ, बादल
चवल वि. (चपल) चंचल, अस्थिर घय नपुं. (घृत) घी
चवेडा-चमेडा स्त्री. (चपेटा) तमाचा, घर नपुं. (गृह) घर
थप्पड़ चाइ वि. (त्यागिन्) दानी, त्याग
करनेवाला च-य-अ. अ. (च) और, तथा, पुनः, चिआ स्त्री. (चिता) चिता, चेह फिर, अवधारण, निश्चय, पादपूर्ति चिंता स्त्री. (चिन्ता) चिन्ता विचार अर्थ में
चिंध-चिण्ह नपुं. (चिह्न) चिन्ह, चइत्त पुं. (चैत्र) चैत्रमास लांछन, निशानी.
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