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होहिड़
होईअ होईअइ होईअसी- | होईअउ ही - हीअ
होइज्ज होइज्जइ होइज्जसी- होइज्जउ होस्सइ
| ही हीअ
दृश् दीसावि दीसाविइ दीसाविईअ दीसाविउ दीसाविहिइ दीसाविन्तोन्तीन्तं,
दीसाविज्जज्जा
दीसिहिड दीसन्तो-न्ती-न्तं, सेज्जज्जा ग्रह घेप्पावि घेप्पाविइ घेप्पाविईअ घेप्पाविउ घेप्पाविहिइ ) घेप्पाविन्तोन्ती-न्तं,
घेप्पाविरस घेप्पाविज्ज-ज्जा
घेप्प घेप्पइ घेप्पईअ घेप्पउ
घेप्पिहिइ
घेप्पन्तो-न्ती-न्तं,
घेप्पिस्सइ घेप्पेज्ज-ज्जा गहावीअ गहावीअइ गहावीअईअ गहावीअउ गहाविहिइ गहाविन्तो-न्ती-न्तं, गहाविस्सइ गहाविज्ज-ज्जा गहाविज्ज महाविज्जइ गहाविज्जईअ गहाविज्जउ गहाविहिइ गहाविन्तो-न्ती-न्तं, गहाविस्सइ) गहाविज्ज-ज्जा गाहीअ गाहीअइ गाहीअईअ गाहिअउ गाहिहिइ गाहन्तो-न्ती-न्तं, गाहिज्ज गाहिज्जइ गाहिज्जईअ गाहिज्जउ गाहिस्सइ गाहेज्ज-ज्जा
9.
उदा
दीस दीसइ दीसईअ दीसउ
प्रेरक कर्मणि वर्तमानकृदन्त
प्रेरक कर्मणि अंग को वर्तमानकृदन्त के प्रत्यय लगाने से प्रेरक कर्मणि वर्तमानकृदन्त बनता है ।
अंग पुंलिंग
करावीअ करावी अन्तो- माणो कराविज्ज कराविज्जन्तो- माणो
कारीअ
कारीअन्तो- माणो कारिज्जन्तो-माणो
कारिज्ज
स्त्रीलिंग
होतो- न्ती-न्तं,
होज्ज-ज्जा
करावीअई-न्ती-न्ता-माणी-माणा कराविज्जई--ती- -न्ता-माणी-माणा कारीअई-न्ती-न्ता-माणी-माणा कारिज्जई - न्ती - न्ता-माणी-माणा
दीस इत्यादि धातुओं के लिए पाठ-19 देखिए ।
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