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भविष्यकाल .
हसावि-हास अंग एकवचन
बहुवचन प्रथम पु. हसाविस्सं , हसाविस्सामि, .. हसाविस्सामो, हसाविहामो,
हसाविहिमो, हसाविहामि, हसाविहिमि, हसाविहिस्सा, हसाविहित्था, हासिस्सं, हासेस्सं, हासिस्सामो, हासेस्सामो, हासिस्सामि, हासेस्सामि, हासिहामो, हासेहामो, हासिहामि, हासेहामि, . हासिहिमो, हासेहिमो, हासिहिमि, हासेहिमि हासिहिस्सा, हासेहिस्सा,
हासिहित्था, हासेहित्था (इस प्रकार 'म-म' प्रत्यय के
रूप भी समझना) द्वितीय पु.| हसाविहिसि, हसाविस्ससि, हसाविहिह, हसाविस्सह,
हसाविहित्था हासिहिसि, हासेहिसि, हासिहिह, हासेहिह, हासिस्ससि, हासेस्ससि, हासिस्सह, हासेस्सह, (इस प्रकार 'से' प्रत्यय के हासिहित्था, हासेहित्था
रूप समझना) तृतीय पु. हसाविहिइ, हसाविहिए, हसाविहिन्ति, हसाविस्सन्ति,
हसाविस्सइ, हसाविस्सए, हासिहिन्ति, हासेहिन्ति, हासिहिइ, हासिहिए, हासिस्सन्ति, हासेस्सन्ति हासेहिइ, हासेहिए, (इस प्रकार 'न्ते-इरे' प्रत्यय हासिस्सइ, हासिस्सए, के रूप समझना) हासेस्सइ, हासेस्सए सर्वपुरुष । हसाविज्ज-ज्जा सर्ववचन । हासेज्ज-ज्जा
भविष्यकाल और क्रियातिपत्त्यर्थ में 'ईअ-इज्ज' प्रत्यय नहीं लगते हैं, इसलिए 'ईअइज्ज' प्रत्यय लगाये बिना ही पुरुषबोधक प्रत्यय लगाये जाते हैं । परि. 1 नि.9.
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