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14. तृतीया विभक्ति के स्थान पर कहीं-कहीं सप्तमी विभक्ति भी रखी
जाती है । उदा. त्रिभिः तैः, तेषु-तेसु अलंकिया पुहवी ।
शब्दार्थ (पुंलिंग) अग्गि (अग्नि) = अग्नि
निअम (नियम) = निश्चय, गृहीत प्रतिज्ञा अच्चय (अत्यय) = विनाश, मरण, | पडियार (प्रतिकार) = आनेवाली वस्तु विपरीत आचरण
को रोकना, रोग का इलाज, बदला आगम (आगम) = शास्त्र, सिद्धान्त पसु (पश) = पशु उवाय (उपाय) = उपाय
| वायस (वायस) = कौआ गब्म (गर्भ) = गर्भ
संवेग (संवेग) = संसार से वैराग्य जंबूकुमार (जंबूकुमार) = विशेषनाम, सुविज्ज (सुवैद्य, सुविद्यः) = अच्छा
जंबूकुमार | वैद, श्रेष्ठ विद्यावाला . जाम (याम) = प्रहर
सोग (शोक) = शोक जीवलोग (जीवलोक) = दुनिया, जगत्
नपुंसकलिंग कुमास्तण (कुमारत्व) कुमारपना पाहुड (प्राभृत) = भेंट, उपहार दवलिंग (द्रव्यलिंग) मुनिवेश, बाह्यवेश पोरुस । (पौरुष) = पुरुषत्व , पुरुषार्थ पच्चक्खाण (प्रत्याख्यान) प्रत्याख्यान | पोरिस । परिक्खण (परीक्षण) परीक्षा करना । वत्थु (वस्तु) = पदार्थ, चीज
सुह (शुभ) = मंगल, कल्याण
स्त्रीलिंग अमरी (अमरी) = देवी
|पिअसही (प्रियसखी) = प्रेमपात्र सखी आयइ (आयति) = भावी , भविष्यकाल | पीडा । (पीडा) = पीड़ा, दुःख आलोयणा (आलोचना) = प्रायश्चित्त हेतु पीला
दोष कहना, बताना |महादेवी (महादेवी) = पटरानी आहि (आधि) = मानसिक पीड़ा रमणी (रमणी) = सुन्दर स्त्री काया (काया) = देह
सत्ति (शक्ति) = शक्ति, सामर्थ्य किन्नरी (किन्नरी) = व्यंतर देवी । साविया । (श्राविका) = श्राविका निद्दा (निद्रा) = निद्रा
साविआ सिद्धि (सिद्धि) = मोक्ष